गंभीर रूप से बीमार और 70 वर्ष से अधिक आयु के कैदियों की जमानत पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और उत्तर प्रदेश व बिहार समेत 18 राज्यों की सरकारों से जवाब मांगा है।
अशक्त लोगों को जमानत देने की सिफारिश नेशनल लीगल सर्विसेज अथारिटी (नाल्सा) ने की है। इसी को आधार बनाकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि बीमार और उम्रदराज बहुत सारे कैदियों ने निचली अदालतों से जमानत की मांग की थी लेकिन वह उन्हें नहीं मिल पाई। इनमें से ज्यादातर सर्वोच्च न्यायालय आने की स्थिति में नहीं हैं।
बीमार और बुजुर्ग कैदियों को विशेष देखभाल की जरूरत
इन कैदियों को विशेष देखभाल की जरूरत है लेकिन क्षमता से ज्यादा कैदियों वाली जेलों में ऐसा कर पाना प्रशासन के लिए संभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संदीप मेहता की पीठ ने अथारिटी की ओर से पेश रश्मि नंदकुमार के अनुरोध पर केंद्र और राज्यों को पक्ष प्रस्तुत करने के लिए कहा है।
राज्यों की जेलों में बड़ी संख्या में अशक्त कैदी
याचिका में बीमार और उम्रदराज लोगों की राहत के लिए डिस्टि्रक्ट कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित मामलों की जानकारी भी दी गई है। याचिका में याचिका की अविलंब सुनवाई की मांग की गई है। अथारिटी की याचिका में कहा गया है कि गंभीर रूप से बीमार और उम्रदराज लोगों की बड़ी संख्या उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, ओडि़शा, महाराष्ट्र और तेलंगाना की जेलों में है।
कमजोर तबके को न्याय दिलाने में जुटी है नाल्सा
नाल्सा लीगल सर्विसेज अथारिटी एक्ट 1987 के तहत गठित संवैधानिक संस्था है। यह संस्था समाज के कमजोर तबके को विभिन्न तरीकों से न्याय दिलाने का कार्य करती है। यह संस्था आपसी समझौतों के लिए लोक अदालत भी आयोजित कराती है।