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S-400 से भारतीय एयर स्पेस हुआ अभेद्य, अब अमेरिका की ओर देख रहे रक्षा विशेषज्ञ

S-400 भारत पहुंचने के साथ ही भारतीय एयर स्पेस अब अभेद्य हो गया है। ऐसे में S-400 को लेकर दुनिया में कई तरह की टिप्पणी और रक्षा विश्लेषण आ रहे हैं। भारत ने कुछ समय पहले रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम का रक्षा सौदा किया था। मिसाइल डिफेंस सिस्टम भारत पहुंचने के भारत पर अमेरिकी प्रतिबंध का खतरा भी बढ़ने लगा है। भारत के समर्थन में अमेरिका के कुछ सांसद भी सामने आए थे और एक संशोधन भी पेश किया गया था। अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का कहना है कि रूस से S-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम खरीदने को लेकर भारत के खिलाफ प्रतिबंधों की संभावित छूट पर अमेरिका ने कोई फैसला नहीं किया है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज सैंक्शन एक्ट’ के तहत किसी देश को विशेष छूट देने का प्रावधान नहीं है।

भारत-रूस डिफेंस डील पर फैसला नहीं

अमेरिकी विदेश विभाग के प्रवक्ता ने कहा है कि हम अपने सभी सहयोगियों और भागीदारों से रूस के साथ ऐसे सौदे ना करने का आग्रह करते हैं, जिसकी वजह से ‘काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सेक्शन एक्ट’ के तहत प्रतिबंध लगाए जाने का खतरा है। हमने भारत के साथ रूसी हथियारों के लेन-देन के संबंध में संभावित छूट पर कोई निर्णय नहीं लिया है। एक्ट में किसी छूट का प्रावधान नहीं है। भारत द्वारा खरीदे गए रूस के S-400 सिस्टम मिसाइल डिफेंस सिस्टम प्रतिबंधों के दायरे में आ सकते हैं। इस सम्बनध में उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में अमेरिका-भारत रक्षा साझेदारी का काफी विस्तार हुआ है। हम उम्मीद करते हैं कि हमारी रक्षा साझेदारी में यह प्रगति जारी रहेगी और हम भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को काफी महत्व देते हैं।
ज्ञात हो कि भारत ने लंबी अवधि की सुरक्षा जरूरतों के लिए अक्टूबर 2018 में भारत-रूस वार्षिक द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के दौरान सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल सिस्टम डील को फाइनल किया था। S-400 की खरीद के लिए रूस के साथ 5.43 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते पर हस्ताक्षर किए थे।

ज्ञात हो कि अमेरिकी कानून के तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस पर प्रतिबंध लगाता है। कानून अमेरिकी प्रशासन को उन देशों पर प्रतिबंध लगाने की इजाजत देता है जो रूस के साथ महत्वपूर्ण रक्षा सौदा करते हैं। अमेरिका ने यह कानून 2014 में रूस के क्रीमिया पर कब्जे और 2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में कथित हस्तक्षेप के बाद बनाया हैं। इससे पहले अमेरिका की डिप्टी सेक्रेटी ऑफ स्टेट वेंडी शर्मन ने नई दिल्ली में पत्रकारों के साथ बातचीत में कहा था कि जो भी देश S-400 का इस्तेमाल करने का फैसला करता है, उन्हें लेकर हमारी नीतियां सार्वजनिक रही हैं। हमें लगता है कि ये खतरनाक है और ये किसी के भी सुरक्षा हितों में नहीं है। इसके बावजूद मैं कहना चाहूंगी कि भारत और अमेरिका के संबंध काफी मजबूत हैं। रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम खरीदने की वजह से अमेरिका नैटो के सदस्य देश तुर्की पर प्रतिबंध लगा चुका है।