नेटफ्लिक्स पर जामताड़ा नाम से एक वेब सीरीज आई थी जिसे आप में से कई लोगों ने देखा होगा। यदि यह कहा जाए कि भारत में साइबर ठगों का सबसे बड़ा अड्डा झारखंड का जामताड़ा ही है तो गलत नहीं होगा। देशभर में होने वाली अधिकतर साइबर ठगी जामताड़ा से ही होती है। अभी कुछ दिन पहले ही जामताड़ा साइबर थाना की पुलिस ने छापामारी अभियान के तहत 20 मोबाइल औ 32 सिम कार्ड 14 आरोपियों को गिरफ्तार किया है। अब जामताड़ा के ठगों ने ठगी के लिए नया तरीका निकाला है और यह है जिन्न बेचना। इसके अलावा जामताड़ा में ठगों की भी भर्तियां हो रही हैं।
झारखंड के जामताड़ा में इन दिनों साइबर ठगों ने भूत-प्रेत और धन कमाने का लालच देकर लोगों को अपना शिकार बनाना शुरू कर दिया है। साइबर ठग 72 सौ रुपये में जिन्न बेच रहे हैं। लोगों को यह कहकर झांसे में ले रहे कि जिन्न को खुश करके आप शीघ्र ही धनवान बन सकते हैं। 72 सौ रुपये बिक रहे जिन्न का नाम सिलफान है। सिलफान जिन्न की दुनिया में आने का रजिस्ट्रेशन है यानी 72 सौ रुपये देकर जिन्न की दुनिया में सिलफान के जरिए व्यक्ति का प्रवेश हो पाता है। उसके बाद वहां से शुरू होता है ठगी का बड़ा खेल। लोगों को वीडियो भेजकर रुपयों के बंडल और सोने से भरा बैग दिखाते हैं। शिकार से कहा जाता है कि यह सब सिलफान जिन्न के हैं जो आपके होंगे।
रुपयों से भरे बैग का वीडियो भेजते हैं: दूसरी प्रक्रिया में बताया जाता है कि सिलफान जिन्न को रुपये के लिए नकारा जिन्न के पास जाना है और उसके लिए तंत्र-मंत्र करना है। इसके लिए भी रुपये मांगे जाते हैं। शिकार व्यक्ति रुपयों के लालच में जिन्न के लिए दिए गए बैंक अकाउंट में रुपये भेजता रहता है इस बीच यकीन दिलाने के लिए ठगों का गिरोह ऐसे वीडियो भेजता है जिसमें रुपयों की बारिश उसके बंडल को बोरों में भरते, जिन्न के घर में रुपयों के ढेर पर बैठे सांप को दिखाया जाता है।
उसके बाद ठगी की दूसरी प्रक्रिया शुरू होती है जो रुपये भेजने की होती है। इसमें रुपयों का बंडल बैग में भरता हुआ दिखायी देता है और बताया जाता है कि यह रुपये उसके हैं और यह उसके घर के लिए रवाना हो रहा है। रुपये ले जाने का रास्ता भी व्हाट्सएप पर भेजा जाता है। रुपये के रवाना होने के बाद दूसरे दिन फोन आता है कि रुपयों के बैग को पुलिस या इनकम टैक्स वालों ने रोक लिया है और इसके लिए रुपये भेजने होंगे। इसमें 50 से एक लाख के बीच की रकम मांगी जाती है। अपने लिए निकले करोड़ों रुपयों के झांसे में आया। व्यक्ति कर्ज लेकर या फिर सामानों को बेचकर ठगों को रुपये भेज देता है। उसके बाद किसी और तरीके से ठग शिकार को लगातार तब तक ठगता रहता है जबतक की शिकार ठग की करतूत समझ नहीं लेता या फिर उसके पैसे खत्म नहीं हो जाते।