लोहड़ी, भारत अपनी लोकसंस्कृति के लिए विश्व भर में विख्यात है। पंजाब की लोकसंस्कृति का महत्वपूर्ण त्योहार है। जो पंजाब राज्य में बड़े उत्साह और धूमधाम के साथ मनाया जाता है। यह पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है और इसे आग और खेती से जुड़े रीति-रिवाजों के साथ आयोजित किया जाता है। लोहड़ी का त्योहार पंजाबी समाज में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है पंजाब की लोहड़ी का अपना अलग ही लोकरंग है। इसमें आत्मगोपन, खुशी, और समृद्धि की कामना की जाती है। इस विशेष लेख में, हम लोहड़ी के महत्व, इतिहास, और इसे मनाने के विभिन्न पहलुओं पर विचार करेंगे।
Lohri: Unique festival of Punjabi culture :-
लोहड़ी एक प्रकार से सामाजिक संबंधों का त्योहार है। पंजाब में इस त्योहार का एक ऐतिहासिक पृष्ठ दुल्ला भट्टी की एक घटना के साथ भी जुड़ा है, जिसके अनुसार, दुल्ला ने एक निर्धन परिवार की लड़की को अपनी बेटी बनाकर उसका विवाह किया था। इस बात का उल्लेख लोहड़ी के पर्व पर गाये जाने वाले लोकगीतों में मिलता है: ‘सुंदर मुंदरिये हो। तेरा कौन विचारा हो। दुल्ला भट्टी वाला हो। दुल्ली दी धी ब्याही हो। सेर शक्कर पाई हो..।’
लोहड़ी का महत्व:
लोहड़ी का त्योहार उत्साह, मनोरंजन, और आदिवासी धरोहर का प्रतीक है। यह त्योहार सुबह से ही शुरू होकर रात तक चलता है और लोग आपसी मिलन-जुलन, गायन, नृत्य, और खासकर बालों की आग में खाना बनाकर मिलने का आनंद लेते हैं। इसे मकर संक्रांति के पूर्व शाम को ही मनाया जाता है, जो धरती का सूर्यमुखी बदलता है और सर्दी की छुट्टियों का आरंभ होता है।
लोहड़ी का महत्व खासकर किसानों के लिए अधिक है, क्योंकि यह फसलों की फलने की समय-सीमा को चिह्नित करता है और खेतों की खेती में समृद्धि की कामना करता है। इसे आग के साथ मनाने से पूर्व, लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और नए कपड़े पहनकर नए साल की शुरुआत को स्वागत करते हैं।
लोहड़ी का इतिहास:
Lohri: Unique festival of Punjabi culture :- लोहड़ी का इतिहास प्राचीन समय से जुड़ा हुआ है और इसे सूर्य की पूजा के रूप में माना जाता है। इसे हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, और दिल्ली के कई हिस्सों में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है। इस त्योहार का नाम ‘लोहड़ी’ गुरुमुखी लिपि से लिया गया है, जिसका अर्थ होता है ‘लोहे की आग’। इसमें अग्नि पूजा का महत्वपूर्ण स्थान है, जिससे लोग आग के द्वारा अपनी दुखों और बुराइयों को जला देते हैं।
बॉनफायर (आग की रात):
लोहड़ी का प्रमुख आयोजन बोनफायर (आग की रात) है, जिसमें लोग एकत्र होकर बड़ी आग को जलाते हैं। इसमें आग के चारों ओर बैठकर लोग गाने-नृत्य करते हैं और खासकर बच्चे धारा के चरणों के चारों ओर नृत्य करते हैं। यह रीति आग के साथ मनाने में सामूहिक भागीदारी का अहसास कराती है और लोगों को एक-दूसरे के साथ मिलकर खुशी और समर्पण की भावना बाँटने का अवसर प्रदान करती है।
पूजा और गाने-नृत्य:
Lohri: Unique festival of Punjabi culture :- लोहड़ी की शाम में, लोग अपने घरों में पूजा करते हैं। धूप, दीप, फल, और ब्रजम की सामग्री से सजाकर पूजा करते हैं और सूर्यदेव का आदर करते हैं। इसके बाद, लोग गाने गाते हैं और नृत्य करते हैं, जिसमें खुशियों और उत्साह की भावना होती है। यह सभी गतिविधियाँ एक साथ होती हैं और इसे एक परिवारिक और सामूहिक रूप में मनाने का आदान-प्रदान करती हैं।
बालों की आग:
इस रीति में, बच्चे एकत्र होकर अपने बालों की आग में नृत्य करते हैं। इसके साथ ही, वे आग के चारों ओर दौड़ते हैं और खुशी से नाचते हैं। इससे बच्चों को सामूहिक भागीदारी का महत्व और खुशियों का आनंद मिलता है।
लोहड़ी की मिठाईयाँ:
लोहड़ी के दिन, घरों में खास तरह की मिठाईयाँ बनाई जाती हैं, जैसे कि गुड़ और तिल की रेवड़ी, गजक, और मूंगफली की मिठाईयाँ। इन मिठाइयों को गाय की गोबर से बनाई जाती है, जिससे वे पवित्र और धार्मिक होती हैं। इन मिठाइयों को आपस में बाँटने का रीति-रिवाज होता है, जिससे परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ बंधन में बंधते हैं।
Lohri: Unique festival of Punjabi culture :- लोहड़ी एक ऐसा त्यौहार है जो समृद्धि, खुशी, और सामूहिक एकता की भावना को साझा करता है। इसे मनाने का यह तरीका लोगों को आपसी सम्बन्धों को मजबूत करने और पर्व की ऊर्जा को अपने आत्मा में समाहित करने का एक अद्वितीय मौका प्रदान करता है। इस त्योहार के माध्यम से, लोग आपसी समर्पण, सामूहिकता, और समृद्धि की कामना करते हैं और एक नए साल की शुरुआत में नई ऊर्जा और उत्साह से भरा होकर निकलते हैं।