इजरायल (Israel) और हमास के बीच पांच दिनों भीषण युद्ध जारी है। आंकड़े (figures) बता रहे हैं कि अब तक 5 हजार से ज्यादा लोगों को मौत (death to people) हो चुकी है। इसी बीच इजरायल (Israel) ने साफ कर दिया है कि हमास से गाजा छीन लिया गया है। गाजा को चारों तरफ से घेर लिया गया है। इधर, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस समेत दुनिया के कई बड़े देश इजरायल के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं।
6 दिन में ही इजरायल ने कर दिया खेल खत्म
साल 1967 में 8 देशों से सिर्फ 6 दिन में ही इजरायल ने जंग जीत ली थी. रिपोर्ट बताती है कि 27 मई, 1967 को इजिप्ट के तत्कालीन राष्ट्रपति अब्दुल नासिर ने घोषणा की थी कि अब अरब के लोग इजरायल को खत्म करने का प्लान बनाया है. मई के अंत में इजिप्ट और जॉर्डन के बीच एक समझौता हुआ था कि अगर इजरायल हम दोनों में से किसी एक पर हमला करता, तो दूसरा उसका साथ देगा. जून में इजरायल-इजिप्ट सीमा पर युद्ध शुरू हो गया था और जल्द ही ये कई और अरब मुल्कों तक फैल गया.।
बात 1976 की है जब इजरायल ने ऐसा नामुमकिन काम कर दिखाया, जिसने पूरी दुनिया को उसका कायल बना दिया। आतंकियों ने इजरायल से उड़ान भरने वाले एक प्लेन को बीच रास्ते में हाईजैक कर दिया था। प्लेन पर से इजरायली लोगों के अलावा बाकी सभी पैसेंजरों को उतार दिया गया। निशाना सिर्फ इजरायल था। तब मोसाद के साथ मिलकर इजरायली सेना ने ऑपरेशन थंडरबोल्ट चलाया और युगांडा की धरती से अपने 102 यहूदी नागरिकों को रेस्क्यू किया। इस ऑपरेशन में बेंजामिन नेतन्याहू के बड़े भाई योनातन नेतन्याहू ने अपनी जान की कुर्बानी दी थी। वह इस ऑपरेशन का हिस्सा थे। आज इजरायल में उन्हें हीरो माना जाता है। इजरायली एक बार फिर योनातन की कुर्बानी याद कर रहे हैं, क्योंकि फिलिस्तीन आतंकियों के खिलाफ जंग में 150 इजरायली हमास के कब्जे में हैं।
हमास और इजरायल के बीच जंग खतरनाक मोड़ ले चुकी है। अमेरिका भी इस भयंकर लड़ाई में कूद चुका है। उसने अपने घातक हथियार और मिसाइल लैस प्लेन इजरायल को भेजे हैं। आगे भी और मदद की बात कही है। हमास और इजरायल के बीच युद्ध में कम से कम 2300 लोग जान गंवा चुके हैं। हमास आतंकियों का दावा है कि उसके पास गाजा पट्टी में अभी भी 150 इजरायली कैद हैं। इजरायल अपने नागरिकों को छुड़ाने के लिए जल्द ही जमीन पर बड़े ऑपरेशन की तैयारी कर रहा है। इस बीच इजरायल में प्रधान मंत्री नेतन्याहू के बड़े भाई योनातन (योनी) नेतन्याहू की याद ताजा हो गई है, जब 1976 के ऑपरेशन एंतेबे में सेना ने 102 यहूदी बंधकों को बचाया था।
ऑपरेशन थंडरबोल्ट की कहानी
इसे ऑपरेशन एंतेबे भी कहा जाता है। 4 जुलाई, 1976 को योनी नेतन्याहू जो पहले से ही इजरायली सेना में सम्मानित अधिकारी थे, ने उस मिशन का नेतृत्व किया। इस ऑपरेशन को थंडरबोल्ट या एंतेबे नाम दिया गया था। बात रविवार 27 जून की है जब एयर फ्रांस फ्लाइट 139 ने तेल अवीव से उड़ान भरी। यात्रा पेरिस तक की थी लेकिन, पहला ठहराव एथेंस में हुआ। जर्मन बाडर-मेनहोफ आतंकवादी समूह से जुड़े विल्फ्रेड बोस और ब्रिगिट कुहमन पॉपुलर फ्रंट फॉर द लिबरेशन ऑफ फलेस्ताइन के दो आतंकी ग्रीस में यात्रियों की शक्ल में सवार हुए और प्लेन को हाईजैक कर लिया। इन आतंकियों ने प्लेन को लीबिया के बेनगाजी में उतारा और इसमें ईंधन भरा।
आतंकी प्लेन को हाईजैक करके युगांडा ले गए। उस समय युगांडा तानाशाह ईदी अमीन के अधीन था, जो फिलिस्तीन का मजबूत समर्थक था। आतंकवादियों ने विमान के 258 यात्रियों में से उन लोगों को मुक्त कर दिया क्योंकि वे इजरायली या यहूदी नहीं लग रहे थे और बाकी को बंधक बना लिया। उनकी मांग इजरायल, केन्या, पश्चिम जर्मनी और कुछ अन्य देशों की जेलों में बंद 53 आतंकवादियों की रिहाई थी।
जवाब में, इज़रायल ने चार हरक्यूलिस विमानों में लगभग 200 सैनिकों के एक कमांडो ग्रुप को मिशन पर भेजा। इज़रायली कमांडो ने उस टर्मिनल को तोड़ दिया जहां बंधकों को रखा गया था। मिशन के जाबांज 102 लोगों को बचाने में कामयाब रहे और सभी आतंकवादियों और दर्जनों युगांडा के सैनिकों को मार डाला। गोलीबारी में तीन बंधकों की मौत हो गई थी। इस हमले के दौरान योनी नेतन्याहू भी मारे गए। उनके सम्मान में इस ऑपरेशन को ऑपरेशन योनातन नाम दिया गया।