चीन की महत्वाकांक्षी बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI) को एक और झटका लगा है। ब्रिक्स देशों के समूह में भारत के बाद अब ब्राजील ने भी इस परियोजना में शामिल होने से इनकार कर दिया है। ब्राजील के राष्ट्रपति लूला दा सिल्वा के नेतृत्व में देश ने BRI में शामिल न होने का फैसला किया है और इसके बजाय चीन के साथ वैकल्पिक तरीकों से सहयोग करने पर जोर दिया है। ब्राजील के इस फैसले से चीन की BRI परियोजना को बड़ा झटका लगा है। इससे पहले भारत ने भी इस परियोजना का विरोध करते हुए कहा था कि यह कई देशों की संप्रभुता के लिए खतरा है। भारत और ब्राजील दोनों ही ब्रिक्स के संस्थापक सदस्य हैं और आपस में गहरे दोस्त हैं।
BRI चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना है जिसका उद्देश्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के निर्माण में निवेश के साथ चीन के वैश्विक प्रभाव को बढ़ाना है। ब्राजील के अधिकारियों के मुताबिक, देश चीन के साथ संबंधों को मजबूत बनाना चाहता है लेकिन वह किसी भी ऐसे समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेगा जो देश की स्वायत्तता को प्रभावित करे। ब्राजील ने स्पष्ट किया है कि वह चीन की बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को बीमा पॉलिसी के रूप में नहीं लेना चाहता।
भारत ने भी BRI परियोजना का विरोध करते हुए कहा है कि यह कई देशों की संप्रभुता के लिए खतरा है। भारत ने विशेष रूप से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (CPEC) का विरोध किया है, जिसे पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (POK) से होकर गुजरना है। ब्राजील और भारत के फैसले से चीन को BRI परियोजना को आगे बढ़ाने में चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, चीन इस परियोजना को लेकर अभी भी आश्वस्त है और वह इसे आगे बढ़ाने के लिए अन्य देशों के साथ काम करना जारी रखेगा।