दक्षिणी हरियाणा में चौधर लाने के लिए दो धुरंधरों की जोड़ी ने ताकत झोंक दी है। सार्वजनिक मंचों से भी दक्षिणी हरियाणा का मुख्यमंत्री बनाने के लिए दावेदारी जता चुके यह दोनों कद्दावर नेता अब एक-दूसरे की तारीफों के जमकर पुल बांध रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह और भाजपा के भीष्म पितामह कहे जाने वाले प्रो. रामबिलास शर्मा दक्षिणी हरियाणा के मजबूत स्तंभ माने जाते हैं। गत विधानसभा चुनावों तक दोनों एक-दूसरे के कार्यक्रमों में लगने वाले पोस्टरों तक से गायब रहते थे, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव से इनमें नजदीकियां बढ़ गई हैं। खुले मंच से इंद्रजीत राव कभी प्रो. रामबिलास शर्मा की तारीफ करते दिखाई देते हैं, तो रामबिलास शर्मा भी कार्यकर्ताओं की बैठक में राव इंद्रजीत की जय-जयकार लगा चुके हैं।
हरियाणा की 10 सीटों पर दोनों का है प्रभाव
राम और राव दक्षिणी हरियाणा की राजनीति में धुरंधर माने जाते हैं। दोनों का दक्षिणी हरियाणा की करीब 10 विधानसभा सीटों पर प्रभाव है। हालांकि पार्टी शीर्ष नेतृत्व ने प्रदेश में भाजपा को पौधे से वटवृक्ष बनाने वाले प्रो. रामबिलास शर्मा को महेंद्रगढ़ सीट से टिकट न देकर ठिकाने लगा दिया। रामबिलास को टिकट दिलाने के लिए केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने पार्टी पर खूब दबाव बनाया था।
आरती को जिताने के लिए दोनों साझा कर रहे मंच
अटेली विधानसभा से भाजपा उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतरीं केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह की बेटी आरती राव को जिताने के लिए प्रो. शर्मा व राव दोनों खूब मंच साझा कर रहे हैं। दोनों के प्रभाव के कारण तीन निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी नामांकन वापस ले लिया है। एक निर्दलीय ने आरती के समर्थन की घोषणा भी की। लेकिन, दो ने पत्ते नहीं खोले। हालांकि, अंदर खाते से कमल खिलाने में मदद का भी आश्वासन दिया है।
केंद्रीय मंत्री कर चुके हैं हरियाणा में चौधर का दावा
राव इंद्रजीत सिंह कई बार सार्वजनिक मंचों से मुख्यमंत्री की दावेदारी जता चुके हैं। लोकसभा चुनावों में भी उन्होंने कहा था कि हरियाणा में सरकार बनाने का रास्ता दक्षिणी हरियाणा से जाता है। बीते दिनों एक कार्यक्रम में राव ने कहा था 12 साल में तो कुरड़ी का भी समय आ जाता है। उनका इशारा इस बार उन्हें मौका मिलने से था।