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हमास ने इजरायल की ठुकराया सीजफायर का प्रस्‍ताव, कहा- फिलिस्तीन की आजादी तक जारी रहेगी जंग

इजरायल और हमास (Israel and Hamas) के बीच चल रहे युद्ध में शांति के दरवाजे एक-एक करके बंद होते नजर आ रहे हैं। इजरायल की तरफ से 60 दिन के सीजफायर (ceasefire) के दिए गए प्रस्ताव को हमास ने अस्वीकार कर दिया है। हमास की तरफ से कहा गया है कि जब तक वह स्वतंत्र फिलिस्तीनी (Palestinian) राज्य की स्थापना नहीं कर लेते, तब तक हथियार नहीं छोड़ेंगे। रिपोर्ट के मुताबिक हमास ने बयान जारी करके कहा , “वह सशस्त्र प्रतिरोध के अधिकार को तब तक नहीं छोड़ सकता जब तक कि “यरूशलेम को अपनी राजधानी के रूप में एक स्वतंत्र, पूर्ण संप्रभु फिलिस्तीनी राज्य” न बन जाए।

हमास की तरफ से यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जबकि कतर, फ्रांस और मिस्त्र की मध्यस्थता में कुछ दिन पहले ही शांति प्रस्ताव को लेकर अप्रत्यक्ष बातचीत समाप्त हुई है। इसमें प्रस्ताव रखा गया था कि इस क्षेत्र में दो-राष्ट्र सिद्धांत को अपनाया जाएगा और हमास अपने हथियारों को फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंप देगा। अब, जबकि हमास ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, तो ऐसे में इसके भी ठंडे बस्ते में जाने की आशंका है।

हमास की तरफ से यह बयान ऐसे समय में सामने आया है, जबकि कतर, फ्रांस और मिस्त्र की मध्यस्थता में कुछ दिन पहले ही शांति प्रस्ताव को लेकर अप्रत्यक्ष बातचीत समाप्त हुई है। इसमें प्रस्ताव रखा गया था कि इस क्षेत्र में दो-राष्ट्र सिद्धांत को अपनाया जाएगा और हमास अपने हथियारों को फिलिस्तीनी प्राधिकरण को सौंप देगा। अब, जबकि हमास ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया है, तो ऐसे में इसके भी ठंडे बस्ते में जाने की आशंका है।

आपको बता दें इजरायली सरकार का शांति प्रस्ताव को लेकर सबसे बड़ी शर्त यही रही है कि हमास को हथियार डालने होंगे। वहीं दूसरी हो हमास लगातार इस बात पर अड़ा रहा है कि वह हथियार नहीं छोड़ेगा। दोनों पक्षों के बीच चल रही इस हां और न के बीच इजरायल लगातार गाजा में बम बरसा रहा है, जिससे अभी तक हजारों लोगों की जान जा चुकी है और लाखों की संख्या में लोग भुखमरी की और बढ़ गए हैं।

गौरतलब है कि पिछले महीने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने भविष्य में फिलिस्तीनी राज्य के विचार को भी खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि अगर यह बना तो यह इजरायल को नष्ट करने वाले एक मंच की तरह होगा। इतना ही नहीं उन्होंने फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने वाले यूके और कनाडा समेत कई देशों की आलोचना भी की थी।