उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर लखनऊ और प्रयागराज समेत विभिन्न जिला कारागारों में कैदियों ने महाकुंभ के अवसर पर त्रिवेणी के जल से स्नान किया। कारागार मंत्री दारा सिंह चौहान ने लखनऊ जिला कारागार से इस पुनीत कार्यक्रम का शुभारंभ किया जहां कैदियों ने विशेष रूप से लाये गए त्रिवेणी के जल से स्नान किया। जौनपुर, प्रयागराज, भदोही, इटावा और सुलतानपुर समेत अन्य जिलों में भी जिला कारागार में इस तरह के कार्यक्रम आयोजित किये गये जहां बड़ी संख्या में कैदियों ने त्रिवेणी के जल से स्नान किया।
कैदियों में खुशी की लहर
भदोही जिला जेल के बंदी गंगा, जमुना और सरस्वती के पवित्र संगम के जल से स्नान कर प्रफुल्लित नजर आये और उन्होने गंगा मैया का जयकारा लगाया। कारागार अधीक्षक अभिषेक सिंह ने बताया कि पवित्र गंगा जल से कारागार में पूरे विधि-विधान से कलश स्थापना एवं पूजा अर्चना की गयी। पतित-पावनी गंगा के पवित्र जल को बंदियों के स्नानार्थ कारागार के स्नानागार में मिलाया गया। इटावा की जिला जेल में भी कैदियों को गंगाजल से स्नान कराया गया। 733 महिला पुरुष कैदियों को गंगाजल से स्नान करके पुण्य का लाभ हासिल कराया गया है। इतना ही नहीं इटावा की मॉडल जेल में करीब 1900 की संख्या में कैदियों को गंगाजल से स्नान कराया गया। जिला कारागार में प्रयागराज से लाए गये महाकुंभ के जल का कलश पूजन एवं प्रसाद वितरण किया गया।
वैदिक मंत्रोच्चार के साथ की पूजा
गंगाजल को कारागार के प्रत्येक अहाते में स्थित पानी की 7 हौदी में मिलाकर सभी बंदियों को स्नान कराया गया। जिला कारागार उरई में निरुद्ध बंदियों के लिए संगम प्रयागराज के पवित्र जल से विशेष अमृत स्नान का आयोजन किया गया। जेल प्रशासन द्वारा एक विशेष वाहक भेजकर महाकुंभ संगम प्रयागराज से पवित्र जल मंगवाया गया। जल के आगमन के पश्चात कारागार परिसर में विधिपूर्वक पूजा-अर्चना, मंत्रोच्चार एवं कलश स्थापना की गई। इस दौरान बंदियों द्वारा भजन-कीर्तन किया गया, जिससे पूरे परिसर में आध्यात्मिक माहौल बन गया। कारागार प्रशासन ने बंदियों के स्नान के लिए विशेष टैंकों की व्यवस्था की, जिन्हें फूलमालाओं एवं अन्य सजावटी वस्तुओं से सजाया गया। संगम से लाया गया पवित्र जल टैंकों में मिलाया गया, जिसके बाद बंदियों ने क्रमबद्ध होकर शांतिपूर्वक अमृत स्नान किया। प्रयागराज की सेंट्रल नैनी जेल और जिला जेल में भी इसके लिए भव्य व्यवस्था की गई। वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश स्थापना की गई। इसके बाद पवित्र जल को कुंड में डाला गया। जेल के बैरकों में सुंदरकांड का पाठ और भजन-कीर्तन का आयोजन किया गया। महिला बैरक में भी कैदियों में उत्साह देखा गया।