इन दिनों अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर को लेकर फिर चर्चा तेज हो गई है. अमेरिका के चीन पर बैन लगाने के ठीक बाद चीन ने यूएसए को लेकर बड़ा फैसला लिया है. उसने तीन जरूरी धातुंओं- गैलियम, जर्मेनियम और एंटीमनी के निर्यात पर रोक लगा दी है. पहले से कर्ज के जाल में फंसे अमेरिका के लिए चुनौती और बढ़ गई है. जिस संकट से अमेरिका खुद को निकालने के लिए नई तैयारी कर रहा है उसके सामने एक नई समस्या आ खड़ी हुई है. चलिए समझते हैं कि आखिरी अमेरिका पर कर्ज का संकट कितना बड़ा है, जिसको लेकर दुनिया भर में चर्चा हो रही है.
दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अमेरिका में कर्ज का स्तर चिंताजनक स्तर पर पहुंच गया है. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, अमेरिका का कुल कर्ज 36 ट्रिलियन डॉलर यानी 36 लाख करोड़ डॉलर हो गया है, जो देश की कुल जीडीपी का लगभग 125 प्रतिशत है. अभी अमेरिका की जीडीपी 27 लाख करोड़ डॉलर है. यह स्थिति देश की वित्तीय स्थिरता और दीर्घकालिक विकास के लिए गंभीर चुनौती पैदा कर रही है.
देश को हर साल कर्ज के ब्याज के रूप में 1.12 अरब डॉलर चुकाने पड़ रहे हैं. यह आंकड़ा 2021 के मुकाबले दोगुना है. ब्यूरो ऑफ इकनॉमिक एनालिसिस के मुताबिक, सरकार की कुल आय का 18 प्रतिशत हिस्सा केवल कर्ज के ब्याज चुकाने में चला जाता है, जो पिछले 30 वर्षों में सबसे अधिक है. यह खर्च शिक्षा, आरएंडडी और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे क्षेत्रों पर होने वाले कुल खर्च से भी अधिक हो गया है.
अमेरिका का फेडरल बजट 6.75 ट्रिलियन डॉलर है, जिसमें से लगभग आधा हिस्सा सोशल सिक्योरिटी, मेडिकेयर और हेल्थकेयर जैसी योजनाओं पर खर्च होता है. लेकिन कर्ज के ब्याज का बोझ मेडिकेयर और डिफेंस स्पेंडिंग को भी पीछे छोड़ चुका है. इस चुनौती से निपटने के लिए पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक नया विभाग बनाया है, जिसकी जिम्मेदारी एलन मस्क को सौंपी गई है. कहा जा रहा है कि अगर मस्क अमेरिका को इस जाल से निकालने में कामयाब हो जाते हैं तो यह अमेरिकी इकोनॉमी के लिए बेहद पॉजिटिव खबर होगी और शटडाउन को लेकर लगाए जा रहे कयास गलत साबित हो जाएंगे.
अमेरिकी अर्थव्यवस्था फिलहाल मजबूत स्थिति में है, और बेरोजगारी दर कम है. ऐसे में बढ़ता कर्ज विश्लेषकों को हैरान कर रहा है. आमतौर पर कर्ज का स्तर तब बढ़ता है जब सरकार आर्थिक सुस्ती से निपटने के लिए खर्च बढ़ाती है. वर्तमान स्थिति में बढ़ता कर्ज न केवल भविष्य में आर्थिक संकट की आशंका बढ़ा रहा है, बल्कि शटडाउन जैसी स्थिति का खतरा भी पैदा कर रहा है.
अमेरिका के बढ़ते कर्ज का असर उसकी क्रेडिट रेटिंग पर भी दिखने लगा है. अगस्त 2023 में फिच ने अमेरिका की सॉवरेन डेट की रेटिंग AAA से घटाकर AA+ कर दी थी. मूडीज ने भी ऐसी ही कटौती की चेतावनी दी है. विशेषज्ञों का मानना है कि बढ़ते कर्ज और उसके ब्याज के बोझ को नियंत्रित करने के लिए सरकार को अपने खर्च की प्राथमिकताओं पर पुनर्विचार करना होगा. सोशल सिक्योरिटी और हेल्थकेयर जैसी योजनाओं की बढ़ती लागत और सरकारी राजस्व में कमी इस संकट को और गहरा कर सकती है. बढ़ते कर्ज के साथ अमेरिका के सामने न केवल आर्थिक बल्कि सामाजिक और राजनीतिक चुनौतियां भी खड़ी हो रही हैं. वित्तीय अनुशासन और स्थायी विकास के लिए तत्काल कदम उठाने की आवश्यकता है.