आइएनएस विशाखापत्तनम को रविवार को नौसेना में शामिल किया गया है। इसके लिए मुंबई में एक समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में इस जहाज को सेना में शामिल किया गया है।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राजनाथ सिंह ने कहा, पिछले 5 सालों में भारतीय नौसेना के आधुनिकीकरण के बजट का दो तिहाई से अधिक भाग स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। नेवी द्वारा आर्डर किए गए 41 शिप, पनडुब्बी में से 39 भारतीय शिपयार्ड से हैं। आत्मनिर्भर भारत के प्रति यह नेवी की प्रतिबद्धता है।
उन्होंने कहा, भारत के हिंद-प्रशांत मार्ग के हिस्से के रूप में हमारी नौसेना की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है। पीएम मोदी की सागर की नीति उन्हीं मूल्यों का प्रतीक है। हमारे पास भारत को एक स्वदेशी जहाज निर्माण केंद्र बनाने का हर अवसर है।
आइएनएस विशाखापत्तनम मिसाइलों और पनडुब्बी रोधी राकेटों से लैस है। इस समारोह में रक्षा मंत्री के अलावा शीर्ष नौसैनिक कमांडर भी शामिल होंगे। आइएनएस विशाखापत्तनम सतह से सतह और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों और घातक हथियारों तथा सेंसर से लैस है। आइएनएस विशाखापत्तनम का निर्माण स्वदेशी स्टील डीएमआर 249ए का उपयोग करके किया गया है। इसकी कुल लंबाई 163 मिटर है और यह भारत में निर्मित सबसे बड़े विध्वंसक में से एक है।
आइएनएस विशाखापत्तनम को भारत में बने सबसे शक्तिशाली युद्धपोतों में से एक माना जा रहा है, जिसे मझगांव डाकयार्ड लिमिटेड द्वारा तैयार किया गया है। यह नौसेना के प्रोजेक्ट 15बी का हिस्सा है। यह गाइडेड मिसाइल डिस्ट्रायर है और आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत 75 फीसद स्वदेशी उपकरणों से तैयार किया गया है। इसके अलावा कलवरी क्लास की चौथी पनडुब्बी वेला भी 28 नवंबर को नौसेना में शामिल कर ली जाएगी। नौसेना प्रमुख एडमिरल करमबीर सिंह मुख्य अतिथि के रूप में कार्यक्रम में शामिल होंगे।