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लखनऊ में किसान महापंचायत कल, राकेश टिकैत ने ऐसे किया किसानों का आह्वान

विधानसभा चुनावों से पहले उत्तर प्रदेश में सियासी गर्मी तेज हो गयी है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पीएम नरेंद्र मोदी ने तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा के बाद अब नई पैंतरेबाजी शुरू हो गयी है। पीएम मोदी की घोषणा के बाद भी बड़ी संख्या में किसान धरने पर बैठे हैं। इस बीच किसान नेता और भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने 22 नवंबर को लखनऊ में एक किसान महापंचायत करने का निर्णय लिया है। उन्होंने किसान महापंचायत को सफल बनाने के उद्देश्य से दूरदराज के किसानों को लखनऊ पहुंचने का आह्वान किया है। किसान नेता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया है।

 

उन्होंने कहा है कि 22 नवंबर को लखनऊ के इकोगार्डंन ( पुरानी जेल ) बंगला बाजार में आयोजित किसान महापंचायत में आप सभी किसान, मजदूर व युवा साथी अधिक से अधिक संख्या में महापंचायत में शामिल हों। सरकार द्वारा जिन कृषि बाजार सुधारों की बात की जा रही है वह नकली व बनावटी है। इन सुधारों से किसानों की बदहाली रुकने वाली नहीं है। कृषि व किसान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानून बनाना सबसे बड़ा सुधार होगा। सरकार को न्यूनतम समर्थन मूल्य मानना होगा। उन्होंने कहा कि महापंचायत में किसानों के खिलाफ मुकदमे वापस लेने और मारे गए किसानों को मुआवजा दिलाने के मुद्दे पर चर्चा होगी। किसानों के कल्याण में देश का कल्याण है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक वर्ष से चले आ रहे किसान आंदोलन को ध्यान में रखते हुए शुक्रवार को तीनों कृषि कानून को वापस करने ऐलान किया। पीएम ने अपनी घोषणा में कहा कि संसद की शीतकालीन सत्र में तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की दिशा में पूरी प्रक्रिया संपन्न की जाएगी। पीएम मोदी ने कहा था कि हमें इस बात का अफसोस रहेगा कि हम तीनों ही कृषि कानून होने से होने वाले फायदों के बारे में किसानों को नहीं समझा पाये। जिसका नतीजा हुआ है कि ये कानून वापस लेने पड़ रहे हैं। पीएम मोदी ने किसान भाइयों से माफी भी मांगी। पीएम मोदी ने किसानों से अपील किया था वे धरनास्थल से अपने घरों को लौट जायें।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ऐलान के बाद भी किसान संगठनों की तरफ से आंदोलन खत्म करने के बारे में कोई निर्णय नहीं आया है। किसान संगठनों ने साफ कर दिया है कि जब तक एमएसपी पर कानून नहीं बन जाता है, तब तक उनका यह आंदोलन जारी रहेगा। किसान संगठनों ने तीनों कृषि कानूनों के वापस लेने के बाद आगे की रूपरेखा को तैयार करने के लिए राजधानी लखनऊ में 22 नवंबर में किसान महापंचायत होगी। किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों के शामिल होने की बात कही जा रही है। किसान महापंचायत में कृषि कानूनों के वापस लिए जाने के बाद एमएसपी पर बात होगी। इसके अलावा 26 नवंबर को आंदोलन को पूरे एक वर्ष होने जा रहा है। ऐसे में अब देखना होगा कि कानूनों की वापस होने के बाद आंदोलनकारी किसानों की घर वापसी कब होती है। किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य, मुकदमा वापसी और शहीदों को मुआवजा की मांग कर रहे हैं।