महंत नरेन्द्र गिरि का सुसाइड नोट सबके सामने आया है, उन्होंने अपनी मौत का जिम्मेदार अपने शिष्य आनंद गिरि तथा हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी और उनके बेटे संदीप तिवारी बताया है।नोट में महंत ने लिखा कि आनंद गिरि के कारण से मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, वो किसी महिला या लड़की के साथ गलत काम करते हुए मेरी वीडियो वायरल करने वाला है, मैंने अब बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया है।
क्या लिखा सुसाइड नोट में
उन्होने सुसाइड नोट में लिखा कि , मैं बहुत आहत हूं, मैं सुसाइड करने जा रहा हूं, मेरे मरने का जिम्मेदार आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी, जो मंदिर में पुजारी हैं और आद्या प्रसाद तिवारी के बेटे संदीप तिवारी की होगी, मैं समाज में हमेशा शान से जिया, आनंद गिरि ने मुझे गलत तरीके से बदनाम किया। मुझे जान से मारने का प्रयास किया गया, इसमें मैं दुखी होकर आत्महत्या करने जा रहा हूं, मेरी मौत के जिम्मेदार आनंद गिरी, आद्या प्रसाद तिवारी और संदीप तिवारी की होगी, प्रयागराज के सभी पुलिस अधिकारी तथा प्रशासनिक अधिकारियों से अनुरोध करता हूं, मेरी आत्महत्या के जिम्मेदार लोगों पर कानूनी कार्रवाई की जाए, जिससे मेरी आत्मा को शांति मिल सके।
इनको बनाया अपना उत्तराधिकारी
प्रिय बलवीर गिरि मठ, मंदिर की व्यवस्था का प्रयास करना, जिस तरह से मैंने ये काम हमेशा किया, इसी तरह से तुम भी करना, नितेश गिरि और मणि की सभी महात्मा बलवीर गिरि का सहयोग करना, परमपूज्य महंत हरिगोविंग गिरि तथा सभी से ये निवेदन है कि मढी का महंत बलवीर गिरि को बनाए, महंत रविन्द्र पुरी जी आपने हमेशा मेरा साथ दिया, मेरे मरने के बाद बलवीर गिरि का ध्यान रखिएगा, सभी को ओम नमो नारायण।
आत्महत्या के लिये चुनी थी अलग तारीख
महंत नरेन्द्र गिरि ने लिखा कि वैसे तो 13 सितंबर को ही मैं सुसाइड करने जा रहा था, लेकिन हिम्मत नहीं जुटा पाया, आज हरिद्वार से सूचना मिली, कि एक दो दिन में आनंद गिरि कंप्यूटर के जरिए से मोबाइल द्वारा किसी लड़की या महिला के साथ मेरी फोटो लगाकर गंदे काम करते हुए फोटो वायरल कर देगा, मैंने सोचा कहां-कहां सफाई दूंगा मैं, एक बार तो बदनाम हो ही जाऊंगा, मैं जिस पद पर हूं, वो पद बहुत गरिमामयी है, सच्चाई तो लोगों को बाद में पता चल जाएगी, लेकिन मैं तो बदनाम पहले हो जाऊंगा, इसलिये मैं आत्महत्या करने जा रहा हूं, इसकी जिम्मेदारी आनंद गिरि, आद्या प्रसाद तिवारी और उनके लड़के संदीप तिवारी की होगी।
ये थी अंतिम इच्छा
नोट में लिखा मिला कि बलवीर गिरि मेरी समाधि पार्क में नीम के पेड़ के पास दिया जाए, ये मेरी अंतिम इच्छा है, धनंजय विद्यार्थी मेरे कमरे की चाभी बलवीर महाराज को ही देना, बलवीर गिरि एवं पंच परमेश्वर से मैं ये निवेदन कर रहा हूं, मेरी समाधि पार्क में नीम के पेड़ के पास दें, प्रिय बलवीर गिरि ओम नमो नारायण, मैंने तुम्हारे नाम एक रजिस्टर्ड वसीयत की है, जिसमें मेरे बह्मलीन (मरने के बाद) हो जाने के बाद तुम बड़े हनुमान मंदिर तथा मठ बाघंबरी गद्दी का महंत बन पाओगे।