अफगानिस्तान (Afghanistan) में तालिबान (Taliban) की सरकार के ऐलान के कुछ घंटों बाद अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) ने बयान दिया है. अपने इस बयान में बाइडेन ने चीन (China) के साथ-साथ रूस, पाकिस्तान और ईरान का भी जिक्र किया है. उन्होंने कहा है कि तालिबान के साथ चीन की कुछ समस्याएं हैं, इसलिए वे उसके साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है.
China, PAK और Russia एक जैसे
अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन (US President Joe Biden) से पूछा गया था कि क्या उन्हें इस बात की चिंता है कि चीन तालिबान को धन मुहैया कराएगा? इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि तालिबान के साथ चीन की कुछ समस्याएं हैं, इसलिए वे उसके साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है. बाइडेन ने यह भी कहा कि जैसा पाकिस्तान करता है, वैसा ही रूस करता है, वैसा ईरान करता है. वे सभी यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि अब वे क्या करेंगे.
कितनी कारगर होगी ये नीति?
अमेरिका ने तालिबान को आर्थिक रूप बदहाल करने के लिए कुछ कदम उठाए हैं. इसके तहत अमेरिका ने न्यूयॉर्क फेडरल रिजर्व में जमा अफगानिस्तान की आरक्षित निधि तालिबान को सौंपने से इनकार कर दिया है. यूएस का कहना है कि पहले तालिबान को महिलाओं के अधिकारों और अंतरराष्ट्रीय कानून के सम्मान की दिशा में काम करना होगा, तभी उसे इस खजाने की चाभी मिलेगी. लेकिन एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन और रूस जैसे देश यदि तालिबान को धन मुहैया कराते हैं तो अमेरिकी दबाव काम नहीं आएगा.
मंत्रिमंडल में Terrorist भी शामिल
वहीं, अफगानिस्तान की नई सरकार की बात करें तो तालिबान ने मुल्ला हसन अखुंद को प्रधानमंत्री नियुक्त किया है. मंत्रिमंडल में कई ऐसे नेताओं को शामिल किया गया है, जिन्हें दुनिया आतंकवादी मानती है. ऐसे में यह सवाल खड़ा हो गया है कि दुनिया के तमाम देश इस सरकार को कैसे मान्यता देंगे? बता दें कि तालिबान के पिछले शासन के अंतिम सालों में अखुंद ने अंतरिम प्रधानमंत्री के तौर पर काबुल में तालिबान की सरकार का नेतृत्व किया था. अमेरिका के साथ वार्ता का नेतृत्व करने वाले मुल्ला गनी बरादर को उप प्रधानमंत्री बनाया जाएगा. बरादर ने अमेरिका के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत अमेरिका पूरी तरह अफगानिस्तान से बाहर निकल गया था.
गैर-तालिबानियों को नहीं मिली जगह!
नई सरकार में गैर-तालिबानियों को जगह दिए जाने की कोई जानकारी नहीं है, जबकि अंतरराष्ट्रीय समुदाय की सबसे बड़ी मांग है कि अफगानिस्तान में समावेशी सरकार का गठन किया जाना चाहिए. तालिबान के प्रवक्ता जबीउल्ला मुजाहिद ने मंत्रिमंडल की घोषणा करते हुए कहा कि यह नियुक्तियां अंतरिम सरकार के लिए की गई हैं. उन्होंने यह नहीं बताया कि मंत्रिमंडल में शामिल लोगों का कार्यकाल कितना लंबा होगा और कैबिनेट में बदलाव के क्या मानदंड होंगे. अब तक, तालिबान ने चुनाव कराने का कोई संकेत नहीं दिया है.