सनातन परंपरा में प्रभु श्री राम की भक्ति सभी दु:खों को दूर करने वाली है. प्रभु श्री राम का गुणगान करने पर न सिर्फ मर्यादा पुरुषोत्तम राम का आशीर्वाद मिलता है, बल्कि उनके सेवक श्री हनुमान जी की कृपा भी बरसती है. प्रभु श्री राम के जीवन चरित्र का गुणगान करने वाली श्री रामचरितमानस प्रत्येक हिंदू घर में होती है. इस पवित्र पुस्तक में कई ऐसे महामंत्र और चमत्कारी चौपाइयां हैं, जिनका पाठ करने से व्यक्ति के सभी दु:ख दूर होते हैं और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यता है कि जिस घर में प्रतिदिन मानस की चौपाइयों का पाठ होता है, उसके यहां कभी किसी चीज की कोई कमी नहीं होती है. आइए जानते हैं कि मानस की किस चौपाई से कौन सी मनोकामना पूरी होती है.
लक्ष्मी प्राप्ति के लिए
यदि आपको माता लक्ष्मी की कृपा पानी है तो आपको प्रतिदिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के बाद श्री रामचरितमानस की इस चौपाई का पाठ पूरी श्रद्धा के साथ करना चाहिए.
जिमि सरिता सागर महुं जाहीं। जद्यपि ताहि कामना नाहीं।।
तिमि सुख-संपत्ति बिनहीं बुलाएं। धरमशील यहि जाहिं सुभाएं।।
संपत्ति प्राप्ति के लिए
यदि आपको अपनी संपत्ति की प्राप्ति में तमाम तरह की अड़चनों का सामना करना पड़ रहा है तो उसे दूर करने के लिए आपको रामचरितमानस की इस चौपाई का प्रतिदिन पाठ करना चाहिए.
जे सकाम नर सुनहिं जे गावहिं। सुख संपत्ति नाना विधि पावहिं।।
सुर दुर्लभ सुख करि जग माहीं। अंतकाल रघुपति पुर पाहीं।।
कोर्ट-कचहरी में मुकदमा जीतने के लिए
यदि आप कोर्ट-कचहरी में किसी मुकदमे में विजय की प्राप्ति चाहते हैं तो आपको श्री रामचरितमानस की इस चौपाई का पाठ प्रतिदिन पूजा में जरूर करना चाहिए.
पवन तनय बल पवन समाना। जनकसुता रघुवीर विबाहु।।
विद्या प्राप्ति के लिए
यदि आपको अपने नौनिहाल की पढ़ाई की हर समय चिंता सताती है तो आप रामायण की इस चौपाई का पाठ प्रतिदिन पूजा के दौरान उससे करवाएं.
गुरु गृह गए पढ़न रघुराई। अल्पकाल सब विद्या पाई।।
दरिद्रता दूर करने के लिए
यदि आप तमाम तरह के प्रयासों के बावजूद अपने घर की गरीबी को दूर नहीं कर पा रहे हैं तो भगवान राम की कृपा से दरिद्रता को दूर करने के लिए इस चौपाई का पाठ करें.
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद दवारि के।।
रोजी-रोजगार के लिए
यदि आप लंबे समय से बेरोजगार चल रहे हैं और आपको तमाम प्रयास के बाद भी कोई रोजगार नहीं मिल रहा है तो आपको श्रीरामचरित मानस की यह चौपाई प्रतिदिन जपनी चाहिए.
बिस्व भरन पोषन कर जोई। ताकर नाम भरत अस होई।।