अभी तक बिहार में एक दूसरे के विरोधी रहे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता तेजस्वी यादव राष्ट्रीय स्तर पर जातिगत जनगणना के मामले पर एकजुट हो गये हैं। सत्तारूढ़ भारतीय जनता दल (BJP) को दिक्कत में लाने के लिए ये एक बड़ी चीज थी, लेकिन कुमार ने सोमवार के दिन लालू प्रसाद यादव के छोटे की तारीफ कर बीजेपी की घबराहट को और अधिक बढ़ा दिया है।
नीतीश के सुझाव पर तेजस्वी ने किया धन्यवाद
सीएम के हिसाब से, यह आरजेडी नेता ही थे, जिन्होंने मांग के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने के लिए एक सर्वदलीय प्रतिनिधिमंडल की बात रखी थी। नीतीश का सुझाव लेते तेजस्वी ने फौरन उन्हें धन्यवाद किया था। नीतीश द्वारा पूर्व डिप्टी सीएम की तारीफ से भाजपा परेशान हो गयी थी, क्योंकि सूबे में पार्टी के कुछ नेता पहले से ही जेडीयू के कदमों को शक की नजरों से देख रहे हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि वे अगले लोकसभा चुनाव में भाजपा के खिलाफ क्षेत्रीय दलों द्वारा एक साथ आने के प्रयासों के लिए कुमार के दृष्टिकोण को पास से देखा जा रहा है।
ज्ञात हों कि, जाति आधारित जनगणना का साथ देने की अपनी मुहिम को आगे बढ़ाते हुए कुमार के नेतृत्व में राज्य के 10 दलों के प्रतिनिधिमंडल ने सोमवार को पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की थी। इस बैठक के बाद बिहार सीएम ने कहा था कि सभी दलों ने जाति आधारित जनगणना की आवश्यकता पर एक स्वर में बात रखी थी। इस पर जोर देकर कहा कि विभिन्न जातियों संबंधी आंकड़े प्रभावी विकास योजनाएं बनाने में सहायता करने वाले हैं, क्योंकि उनमें से कई को उनकी वास्तविक जनसंख्या के अनुसार अभी तक लाभ प्राप्त नहीं हुआ है।
पीएम ने सुनी सभी की बात
इस बारे में पीएम के जवाब के लिए पूछे जाने पर कुमार ने कहा कि मोदी ने इसे (जाति आधारित जनगणना को) ‘‘खारिज नहीं’’ किया और सभी की बात सुनी। प्रतिनिधिमंडल में शामिल यादव ने भी कहा कि इस तरह की जनगणना राष्ट्रीय हित में होती है। उन्होंने कहा कि यह एक ऐतिहासिक कदम माना जाएगा और समाज के गरीबों एवं सबसे वंचित वर्गों की सहायता हो पाएगी। अगर पशुओं और पेड़ों की गणना संभव है, तो लोगों की भी गणना की ही जा सकती है।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल भाजपा नेता जनक राम ने ये बोला कि मोदी ने ‘‘एक परिवार के संरक्षक’’ की भांति सभी की राय जानी । उन्होंने ये भी कहा कि हर कोई ‘‘संतुष्ट’’ है और प्रधानमंत्री का ये फैसला सभी को स्वीकार्य होगा। जनगणना केंद्र का सबसे अधिक अधिकार होता है और इसीलिए कई पार्टियों के द्वारा की गई इस मांग पर फैसला केंद्र ही करेगा। यह मांग करने वाले अधिकतर दलों में वो दल शामिल हैं, जिनको मुख्य रूप से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का समर्थन प्राप्त हुआ है।