संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त (यूएनएचसीआर) ने कहा कि अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति अनिश्चित बनी हुई है। ऐसे में पड़ोसी देशों को शरणार्थियों के लिए सीमाएं खोल देनी चाहिए। हजारों अफगान तालिबान से भागने की कोशिश कर रहे हैं और जरूरत पड़ने पर अफगान सीमा पार कर पड़ोसी देशों में भी पहुंच सकते हैं। स्पुतनिक के अनुसार, यूएनएचसीआर के एशिया और प्रशांत क्षेत्र के क्षेत्रीय प्रवक्ता कैथरीन स्टबरफील्ड ने ये बात कही।
स्टब्बरफ़ील्ड ने कहा कि अफ़ग़ान शरणार्थियों की बड़ी संख्या के मामले में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को अफ़ग़ानिस्तान और उसके पड़ोसियों के लिए समर्थन बढ़ाने के लिए तैयार रहना होगा। संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी ने कहा है कि अफगानिस्तान में 35 लाख लोग आंतरिक रूप से विस्थापित हुए हैं, जिसमें इस साल जनवरी से अब तक 550,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए हैं। प्रवक्ता ने कहा “जबकि UNHCR सुरक्षा की आवश्यकता वाले अफ़गानों को निकालने या फिर से बसाने के लिए कई देशों द्वारा की गई एकजुटता की अभिव्यक्ति का स्वागत करता है, दुर्भाग्य से ये प्रयास केवल उन लाखों अफ़गानों के एक छोटे अनुपात को लाभान्वित करने में सक्षम हैं जो पहले से ही विस्थापित हैं और देश भर में ज़रूरतमंद हैं”। स्पुतनिक के अनुसार, स्टबरफील्ड ने कहा कि इस तरह की पहल से अफगान शरण चाहने वालों को सीधे दूसरे देशों में जाने से नहीं रोकना चाहिए।
अफगानिस्तान में आखिर क्या होने वाला है? एक तरफ तालिबान ने अमेरिका समेत सभी नाटो देशों की सेनाओं को 31 अगस्त तक देश छोड़ने या फिर अंजाम भुगतने की धमकी दी है। वहीं दूसरी तरफ अमेरिका से ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने इस डेडलाइन को कुछ वक्त के लिए बढ़ाने की मांग की है। दरअसल ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों का कहना है कि जब तक लोगों को सुरक्षित निकाल नहीं लिया जाता है, तब तक सेनाओं की मौजूदगी बनी रहे। इस बीच अमेरिकी सेना दिन में कई बार तालिबान से बात कर रही है।
पेंटागन के प्रेस सचिव जॉन किर्बी का कहना है कि अमेरिकी सैन्य अधिकारी दिन में कई बार तालिबान से बात कर रहे हैं ताकि लोगों को सुरक्षित निकाला जा सके। किर्बी ने कहा कि काबुल एयरपोर्ट से लोगों को निकालने का जो ऑपरेशन चल रहा है, उसे लेकर तालिबान से भी बात की जा रही है। इसके अलावा उन्होंने तालिबान की ओर से 31 अगस्त तक की डेडलाइन दिए जाने को लेकर कहा कि हमने वह बयान देखा है। हालांकि इससे ज्यादा कुछ भी विस्तार से बताने से उन्होंने इनकार कर दिया। इस बीच ब्रिटेन के पीएम बोरिस जॉनसन ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन से बात की है और सैनिकों को 31 अगस्त के बाद भी कुछ समय के लिए अफगानिस्तान में बनाए रखने की बात कही है।