पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार सोमवार यानी आज शाम को बुलंदशहर के नरौरा स्थित बांसी घाट पर पूरे राजकीय सम्मान के साथ किया जाएगा. इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह अलीगढ़ के अतरौली पहुंचकर अहिल्या बाई स्टेडियम में कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर उन्हें श्रद्धांजलि देंगे. इतना ही नहीं वे उनके अंतिम यात्रा में शामिल होकर नरौरा भी जाएंगे. अमित शाह के अलावा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती समेत तमाम केंद्रीय व प्रदेश सरकार के मंत्री, सांसद, विधायक व नेता शामिल रहेंगे. कल्याण सिंह का अंतिम संस्कार करीब 3 बजे होना है. प्रशासन ने अंतिम संस्कार की तैयारियां पूरी कर ली है.
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव भी पार्थिव देह के साथ हेलीकॉप्टर में अलीगढ़ पहुंचे थे. वैदिक रीति रिवाज से अंतिम संस्कार किया जाएगा. कल्याण सिंह के दाह संस्कार के लिए 25 किलो चंदन की लकड़ी की व्यवस्था की गई है. आर्य समाज के 11 आचार्य अंतिम संस्कार वैदिक रीति रिवाज से सम्पन्न कराएंगे. बताया गया है कि चंदन, ढक, पीपल व आम की लकड़ी का उपयोग किया जाएगा.
गौरतलब है कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह का लंबी बीमारी के बाद शनिवार रात लखनऊ के एसजीपीजीआई में निधन हो गया था. दो बार प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे 89 वर्षीय कल्याण सिंह 4 जुलाई से एसजीपीजीआई में भर्ती थे. कल्याण सिंह का पार्थिव शरीर रविवार को अंतिम दर्शन के लिए लखनऊ में उनके आवास, विधान भवन और भाजपा कार्यालय में रखा गया. पीएम मोदी और भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने लखनऊ पहुंचकर कल्याण सिंह के अंतिम दर्शन कर श्रद्धांजलि दी. वहीं, सीएम योगी समेत कई बड़े नेताओं ने कल्याण सिंह को श्रद्धांजलि दी थी.
कल्याण सिंह का राजनीतिक सफर –
जून 1991 में, BJP को विधानसभा चुनावों में जीत मिली उसके बाद कल्याण सिंह पहली बार उत्तर प्रदेश (UP) के मुख्यमंत्री बने। उसके बाद कुछ ही दिनों बाद बाबरी मस्जिद विध्वंस हो गया, उसके बाद ये 6 दिसंबर 1992 को राज्य के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया, साल 1997 में, कल्याण सिंह फिर से राज्य के CM बने और वर्ष 1999 तक पद पर बने रहे। उसके बाद इनका बीजेपी से कुछ ताल मेल सही नहीं रहा और ये बीजेपी छोड़ दिए और ‘राष्ट्रीय क्रांति पार्टी’ का गठन किया।
समय बीतता गया वर्ष 2004 में अटल जी के निवेदन पर इन्होंने फिर से बीजेपी ज्वाइन कर लिया और बुलंदशहर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद नियुक्त किए गए। वर्ष 2009 के आम चुनाव में फिर बीजेपी से अलग हो गए और एक स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप में इटावा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और जीत दर्ज की। 2009 में समाजवादी पार्टी में ज्वाइन किये।
2013 में फिर से BJP में आये, और 4 सितंबर 2014 को, उन्होंने राजस्थान के गवर्नर के रूप में शपथ ग्रहण की। 28 Jan 2015 से 12 Aug 2015 तक, उन्होंने हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल के रूप में कार्य किया।