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यूपी के पांच ज‍िलों में पैदा होगा ‘काला सोना’, थाली के साथ जेब भी लगेगी महकने

कालानमक(New Black Salt Rice) का नाम सुनकर आप नमक के बारे में सोच रहे होंगे मगर हम नमक नहीं बल्कि अपनी खुश्बू, स्वाद व पोषक तत्वों को लेकर पूरी दुनिया में फेमस धान कालानमक के बारे में बात कर रहे हैं। सिद्धार्थनगर समेत प्रदेश के पांच जिलों में अब इस कालेनमक की खेती की जाएगी। इसे इन जिलों का एक जिला एक कृषि उत्पाद के रूप में प्रदेश सरकार ने चुना है।

कालानमक की आने वाली नई प्रजातियां किसानों को को काफी फायदा पहुंचाएगी। पहले की तुलना में इनकी महक भी ज्यादा होगी। कालानमक की इन नई प्रजातियों पर गोरखपुर, सिद्धार्थनगर, बस्ती, गोंडा, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर समेत आठ जिलों के कृषि विज्ञान केंद्रों पर परीक्षण चल रहा है। अब तक कालानमक की चार प्रजातियां किसान अपने खेतों में बोते रहे हैं। किसी भी प्रजाति का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल से ज्यादा नहीं है। नई प्रजातियां प्रति हेक्टेयर लगभग 50 क्विंटल धान का पैदावार देंगी।

सिंगापुर में फ्लिपकार्ट पर बिकेगा UP का काला नमक चावल, जानिए खासियत | UP  Kala Namak Rice to be sold on Flipkart in Singapore - News Nation10 लाइन पर चल रहा आठ जिलों में परीक्षण

किसान कालानमक की खेती के लिए कालानमक तीन, कालानमक 101, कालानमक 102, कालानमक किरन प्रजातियाें का इस्तेमाल करते हैं। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी डा.एसके तोमर ने बताया है कि इसमें कालानमक किरन का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 40 क्विंटल के लगभग है।

वहीं अन्य प्रजातियों का उत्पादन प्रति हेक्टेयर 35 क्विंटल भी नहीं है। जिसके कारण फसल के नुकसान होने का खतरा भी ज्यादा रहता है। जिसकी वजह से किसान इसकी बुवाई कम करना चाहता है। उत्पादन की परेशानी को ध्यान में रखकर भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान दिल्ली (आईएआरआई) ने अपने पूसा फार्म में सात वर्षों में कालानमक में जेनेटिक बदलाव करने के बाद दस लाइन (परीक्षणशील प्रजातियां) तैयार की हैं।

Kalanamak Rice of Uttar Pradeshइन ज‍िलों में चल रही है ट्रेनिंग

अब गोरखपुर, गोंडा, बलरामपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर, देवरिया, मराजगंज में इन लाइनों का कृषि विज्ञान केंद्रों पर दो गुणे पांच मीटर के प्लाट पर इसकी ट्रेनिंग चल रही है। परीक्षण सफल होने के बाइ इन लाइनों को प्रजाति की संज्ञा मिल जाएगी। कृषि विज्ञान केंद्र बेलीपार के प्रभारी ने बताया है कि दिल्ली में इसका इस्तेमाल सफल रहा है और नतीजे भी अच्छे रहे हैं। पिछले साल बस्ती जिले में इसका परीक्षण हुआ था जोकि अच्छा रहा है। लेकिन इस बार आठ जिलों में इसका एक साथ परीक्षण चल रहा है।

नये कालानमक में ज्यादा उत्पादन के साथ सुगंध (एरोमा) की मात्रा पहले की तुलना में ज्यादा है। पोषक तत्व भी ज्यादा हैं। ऐसे में इसके सेवन से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता भी ज्यादा बढ़ेगी।

Black Rice: A new entry in Nepal – Agriculture Student Liaison Forumइन लाइनों पर चल रहा परीक्षण

एएसजीएसटी-16

बौना कालानमक

एएसजीआइएसटी-26

केएन-03

एएसजीएसटी-39

पी-1176

एएसजीएसटी-11

एएसजीएसटी-34