राजभवन में बसवराज बोम्मई ने बुधवार को कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल थावर चंद गहलोत ने बसवराज बोम्मई को पद की शपथ दिलवाई। इससे पहले सोमवार को विधायक दल की बैठक में इस्तीफा देने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ही मंगलवार को बोम्मई के नाम का प्रस्ताव रखा था, जिसे सर्वसम्मति से पास कर दिया गया। इंजीनियर व खेती से जुड़े होने के नाते बसवराज को कर्नाटक के सिंचाई मामलों का जानकार माना जाता है। राज्य में कई सिंचाई प्रोजेक्ट शुरू करने की वजह से उनकी तारीफ होती है। उन्हें अपने विधानसभा क्षेत्र में भारत की पहली सौ फीसदी पाइप सिंचाई परियोजना लागू करने का श्रेय भी दिया जाता है।
कर्नाटक के गृह मंत्री बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के चहेते और उनके शिष्य हैं। खबरों के अनुसार बी.एस. येदियुरप्पा ने इस्तीफा देने से पहले ही बोम्मई का नाम भाजपा आलाकमान को सुझा दिया था। दरअसल, लिंगायत समुदाय के मठाधीशों के साथ हुई बैठक में येदियुरप्पा ने अपनी तरफ से इस नाम को उन सबके बीच रखा था। कर्नाटक के मशहूर लिंगेश्वर मंदिर के मठाधीश शरन बसवलिंग ने बताया कि अगर येदियुरप्पा एक इशारा करते, तो पूरा समुदाय उनके लिए भाजपा के विरोध में उतर आता। चुनाव में भाजपा को मुंह की खानी पड़ती, लेकिन खुद येदियुरप्पा ने बसवराज बोम्मई की हिमायत की।
लिंगायत समुदाय के होने की वजह से उनके नाम पर सभी मठाधीश जल्द राजी हो गए। बी.एस. येदियुरप्पा को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा न देने के लिए अड़े लिंगायत समुदाय के सामने येदियुरप्पा ने जब बोम्मई के नाम का सुझाव रखा, तब जाकर भाजपा का विरोध रुका। दसअसल, लिंगायत समुदाय नहीं चाहता था कि येदियुरप्पा इस्तीफा दें, लेकिन येदियुरप्पा ने इस समुदाय की बैठक में कहा था कि मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने से पहले ही यह तय हो चुका था कि मुझे दो साल बाद आलाकमान के निर्देश के हिसाब से काम करना होगा। शीर्ष नेतृत्व का पैगाम आ गया है। मुझे पद छोड़ना होगा।
वहीं बसवराज बोम्मई के अलावा मुर्गेश निरानी और अरविंद बल्लाड के नाम भी चर्चा में रहे। तीनों ही लिंगायत समुदाय से आते हैं, लेकिन बसवराज बोम्मई येदियुरप्पा के करीबी ही नहीं, उनके शिष्य भी माने जाते हैं। इसके अलावा वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में भी काफी लोकप्रिय हैं। माना जाता है कि संघ और येदियुरप्पा के बीच की कड़ी के रूप में इन्होंने ही काम किया। येदियुरप्पा से संघ के बिगड़े रिश्तों का असर येदियुरप्पा के कामकाज पर न पड़े इसमें भी बड़ी भूमिका बोम्मई ने निभाई।
28 जनवरी 1960 को जन्मे बसवराज सोमप्पा बोम्मई CM की कुर्सी संभालने से पहले कर्नाटक के गृह, कानून, संसदीय मामलों के मंत्री भी थे। उनके पिता एसआर बोम्मई भी राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके हैं। मैकेनिकल इंजीनियरिंग में ग्रेजुएट बसवराज ने जनता दल के साथ राजनीति की शुरुआत की थी। वे धारवाड़ से दो बार 1998 और 2004 में कर्नाटक विधान परिषद के लिए चुने गए। इसके बाद वे जनता दल छोड़कर 2008 में भाजपा में शामिल हो गए। इसी साल वे हावेरी जिले के शिगगांव से विधायक चुने गए।