उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है। भारतीय जनता पार्टी ने सत्ता में बने रहने के लिए 2022 के विधानसभा चुनाव में 403 में से 300 से अधिक सीटों को जीतने का लक्ष्य रखा है। जीत का लक्ष्य को हासिल करने के लिए पार्टी के केंद्रीय और प्रदेश नेतृत्व की ओर से तेजी से प्रयास करना शुरू कर दिया है। सियासी समीकरण के साथ ही जातीय समीकरण की कवायद तेज हो गयी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और दोनों उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या व डॉ. दिनेश शर्मा 2022 में विधानसभा का चुनाव लड़ सकते हैं। वर्तमान में तीनों विधान परिषद के सदस्य हैं। सीएम के साथ उपमुख्यमंत्री का विधान परिषद में कार्यकाल सितंबर 2022 में समाप्त हो रहा है।
भाजपा की कोशिश तीनों को चुनावी अखाड़े में उतारकर आसपास की विधानसभा सीटों को बचाया जाये। माना जा रहा है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अयोध्या सीट से 2022 का चुनाव लड़ सकते हैं। डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य कौशांबी की सिराथू और डॉ. दिनेश शर्मा को लखनऊ पश्चिमी सीट से चुनाव लड़ाया जा सकता है। इसी तरह कैबिनेट मंत्री डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह को भी प्रतापगढ़ की कुंडा सीट से मैदान में उतारा जा सकता है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह को बुंदेलखंड में किसी सीट से चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है। संगठन और भारतीय जनता पार्टी की कोशिश है कि इन नेताओं के चुनाव लड़ने से दूसरी सीटों को फायदा मिलेगा।
अयोध्या से भाजपा विधायक वेद प्रकाश गुप्ता ने एक साक्षात्कार में कहा है कि यह मेरा सौभाग्य है। मैं मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए अपनी सीट खुशी से खाली करने को तैयार हूं। मैं 2017 से प्रतीक्षा में हूं. मैंने तो 2017 में कहा था कि जब योगी जी को विधान परिषद या विधानसभा सदस्य बनना था। अगर वह अयोध्या से चुनाव लड़ते हैं तो यह हम सभी का सौभाग्य होगा। योगी आदित्यनाथ ने 19 मार्च 2017 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। सीएम योगी 18 सितंबर 2017 से वह विधान परिषद सदस्य हैं। केशव प्रसाद मौर्य व डॉ. दिनेश शर्मा ने भी 19 मार्च 2017 को उप मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और सितंबर 2017 से विधान परिषद सदस्य हैं। डॉ. महेंद्र प्रताप सिंह 2012 से लगातार विधान परिषद के सदस्य हैं। स्वतंत्र देव सिंह ने सितंबर 2017 में विधान परिषद सदस्य के रूप में शपथ ली थी।