कोरोना महामारी (Corona Pandemic) की दूसरी लहर के चलते ऑक्सीजन की कमी (Oxygen Shortage) हो गई थी। यहां तक कि बुनियादी सुविधाओं के अभाव का सामना कर रहे मरीजों का चौंका देने वाले फोटो-वीडियो भी देखे गए। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक वैज्ञानिक रामेंद्र लाल मुखर्जी (Ramendra Lal Mukherjee) ने एक खास तरह की खोज की है। उन्होंने जिन लोगों को सांस लेने में परेशानी हो रही है ऐसे मरीजों के लिए एक पोर्टेबेल वेंटिलेटर तैयार किया है, जिसका वजन केवल 250 ग्राम ही है।
ये वेंटिलेटर बैटरी से चलता है और इसका इस्तेमाल हर उम्र के लोग कर सकते हैं। सबसे अहम बात यह है कि इसे मोबाइल के चार्जर से भी चार्ज कर आठ घंटों तक प्रयोग किया जा सकता है। मुखर्जी के अनुसार इसका ख्याल उन्हें तब आया, जब वे गंभीर कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे और उन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता थी। उन्होंने कहा कि जब वे कोरोना से उबरने के दौरान उन्होंने वेंटिलेटर पर काम करना शुरू कर दिया। 20 दिनों की कड़ी मेहनत के बाद उन्होंने पॉकेट वेंटिलेटर तैयार कर लिया।
ऐसे करता है काम
बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि इस डिवाइस में दो पार्ट्स हैं, जहां एक पावर यूनिट और एक वेंटिलेटर यूनिट माउथपीस से जुड़ा है। बटन दबाकर पावर शुरू करने के बाद वेंटिलेटर बाहर से हवा खींचकर प्यूरिफाई करने वाले अल्ट्रा वॉयलेट चेंबर के माध्यम से गुजारता है। इसके बाद प्यूरिफाई हुई हवा माउथपीस तक पहुंचेगी।
डॉक्टर मुखर्जी ने आगे बताया भले ही कोई व्यक्ति कोरोना से संक्रमित हो, यह यूवी चेंबर हवा को साफ कर देगा और उसे जर्म्स से फ्री कर देगा। इस मशीन में एक कंट्रोल नॉब है, जो लोगों को ऑक्सीजन की आवश्यकता के हिसाब से वेंटिलेटर संचालित कर देता है। उन्होंने बताया है कि यह पॉकेट वेंटिलेटर कोरोना मरीजों के अलावा अस्थमा और दूसरी सांस संबंधी परेशानियों से जूझ रहे लोगों के लिए भी मददगार होगा। मुखर्जी ने बताया कि कई अमेरिकी कंपनियां बाजार में बढ़ती मांग के चलते पॉकेट वेंटिलेटर के लिए उनसे संपर्क में हैं। उन्हें विश्वास है कि इस खोज से कई लोगों की जान बचाई जा सकती है।