उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के कानपुर स्थित आश्रय गृह में 57 नाबालिग बालिकाओं के कोरोना संक्रमित होने की खबरों को लेकर राज्य सरकार से मंगलवार को जवाब तलब किया। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट की खंडपीठ ने आश्रय गृहों में कोरोना महामारी के संक्रमण को लेकर स्वत: संज्ञान मामले की वीडियो कांफ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए उत्तर प्रदेश के अलावा पंजाब, बिहार, उत्तराखंड और त्रिपुरा को शुक्रवार तक रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया।
न्यायालय ने कानपुर शेल्टर होम की नाबालिग बालिकाओं के कोरोना संक्रमित होने को लेकर योगी सरकार को अलग से भी एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया। न्यायालय ने बाल सुधार गृहों में कोरोना को लेकर वकील गौरव अग्रवाल को न्यायमित्र बनाया है। मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
इससे पहले तमिलनाडु के शेल्टर होम में कोरोना पीड़ित बच्चों के बारे में न्यायमूर्ति राव ने वहां के वकील से जानना चाहा। तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त महाधिवक्ता बालाजी श्रीनिवासन ने न्यायालय को अवगत कराया कि शेल्टर होम की सभी कोरोना संक्रमित लड़कियां अब पूरी तरह ठीक हैं और वे फिर से शेल्टर होम लौट आयी हैं। उन्होंने बताया कि अब इन शेल्टर होम में कोई भी लड़की कोरोना संक्रमित नहीं है।