बांग्लादेश (Bangladesh) की राजधानी ढाका (Dhaka) के पुराने इलाके में एक हिंदू कारोबारी लाल चंद सोहाग (Hindu businessman Lal Chand Sohag) की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी. घटना का वीडियो वायरल होने के बाद पूरे देश में भारी विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया है. राजधानी की प्रमुख यूनिवर्सिटी के सैकड़ों छात्र सड़कों पर उतर आए हैं और अंतरिम सरकार की निष्क्रियता के खिलाफ नारेबाजी कर रहे हैं.
समाचार एजेंसी PTI के मुताबिक इस घटना का वीडियो वायरल हो रहा है, वीडियो में देखा जा सकता है कि हमलावरों ने सोहाग को कंक्रीट के स्लैब से जमकर पीटा. और तब तक पीटते रहे, जब तक उसकी मौत नहीं हो गई. क्रूरता की हदें यहीं नहीं थमीं, हमलावर उसके शव पर नाचते हुए दिखाई दिए. ये घटना मिटफोर्ड अस्पताल के सामने हुई, जहां दिनदहाड़े उस पर हमला किया गया. आरोप है कि हमलावर जबरन वसूली करने वाले लोग थे.
बांग्लादेश के प्रथम अलो अखबार के मुताबिक कोतवाली थाने में लाल चंद की बहन मंजूआरा बेगम ने हत्या का मामला दर्ज कराया है, जिसमें 19 नामजद आरोपियों के साथ 15–20 अज्ञात लोगों को भी आरोपी बनाया गया है. पुलिस ने अब तक 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनमें से दो के पास अवैध हथियार भी मिले हैं. इस घटना के बाद BRAC यूनिवर्सिटी, NSU, ईस्ट वेस्ट यूनिवर्सिटी और ढाका यूनिवर्सिटी सहित कई संस्थानों के छात्र सड़कों पर उतरे और सरकार की विफलता के खिलाफ प्रदर्शन किया. ‘किसने इन दरिंदों को हत्या का अधिकार दिया? जैसे नारों से कैंपस गूंज उठे.
बीडीन्यूज24 ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के युवा मोर्चे के कार्यकर्ताओं के एक समूह ने सोहाग की कथित तौर पर हत्या कर दी. लाल चंद खुद भी BNP का पूर्व कार्यकर्ता था. हालांकि पार्टी ने कहा कि उसने लिंचिंग के 4 आरोपियों को तुरंत पार्टी से निष्कासित कर दिया है.
बता दें कि इस महीने की शुरुआत में इसी तरह की एक और घटना हुई थी. जिसमें मध्य कुमिला के मुरादनगर इलाके में एक महिला और उसके बेटे और बेटी की कथित तौर पर नशीली दवाओं के कारोबार में संलिप्तता के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी. 2024 में पूर्व पीएम शेख हसीना की सरकार के खिलाफ हुए हिंसक आंदोलन के बाद से बांग्लादेश में भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. बांग्लादेश हिंदू-बौद्ध-ईसाई एकता परिषद ने 10 जुलाई को बताया कि 4 अगस्त, 2024 से यानी पिछले 330 दिनों में 2442 घटनाएं अल्पसंख्यकों के खिलाफ हुईं. इनमें हत्या, महिलाओं पर यौन हमले, धार्मिक स्थलों पर हमला, संपत्तियों पर कब्जा जैसी घटनाएं शामिल हैं.