हैदराबाद के पास संगारेड्डी जिलान्तर्गत पाशमीलारम इंडस्ट्रीयल एस्टेट में स्थित सिगाची इंडस्ट्रीज लिमिटेड नामक फार्मास्युटिकल कंपनी अग्निशमन विभाग के अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना ही चल रही थी।
कंपनी प्रबंधन के खिलाफ एफआइआर दर्ज
इसकी जानकारी देते हुए एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बुधवार को बताया कि दो दिन पहले हुए विस्फोट के बाद मलबा हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है।
उधर, एक पीड़ित के रिश्तेदार की शिकायत पर पुलिस ने विस्फोट के सिलसिले में कंपनी प्रबंधन के खिलाफ एफआइआर दर्ज की है।
13 लापता श्रमिकों की तलाश कर रहे हैं
पुलिस अधीक्षक परितोष पंकज ने बताया, ”एनडीआरएफ टीम के अनुसार, मलबा हटाने का काम लगभग पूरा हो चुका है। उनके अनुसार, कोई और शव नहीं मिला है। हम अभी भी 13 लापता श्रमिकों की तलाश कर रहे हैं। किसी भी तरह की घटना की स्थिति में एसडीआरएफ और हाइड्रा (हैदराबाद डिजास्टर रिस्पांस ऐंड असेट प्रोटेक्शन एजेंसी) की एक-एक टीम स्टैंडबाय के तौर पर मौजूद है।”
यह पूछे जाने पर कि क्या फैक्ट्री में कोई खामी पाई गई है, उन्होंने कहा कि यह एक तकनीकी मामला है और इसकी जांच विशेषज्ञ टीमों द्वारा की जानी है। तेलंगाना अग्निशमन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कंपनी के पास विभाग से कोई एनओसी नहीं है। प्लांट में फायर अलार्म और हीट सेंसर सहित कोई पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं थे।
फैक्ट्री में फायर अलार्म व हीट सेंसर सहित कोई पर्याप्त सुरक्षा उपाय नहीं थे
उन्होंने बताया, ”अनापत्ति प्रमाण पत्र प्राप्त करने की एक प्रक्रिया है। यह एक आनलाइन प्रक्रिया है। एक बार जब कोई फर्म आनलाइन आवेदन करती है, तो एक समिति उस पर निर्णय लेती है। सिगाची कंपनी ने किसी भी एनओसी के लिए आवेदन नहीं किया है और इसलिए हमने जारी नहीं किया है।”
वरिष्ठ आइपीएस अधिकारी तथा तेलंगाना फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं की निदेशक शिखा गोयल ने कहा कि डीएनए प्रोफाइलिंग के लिए प्रयोगशाला को शवों और पीडि़त परिवार के सदस्यों के लगभग 50 नमूने मिले हैं।
विस्फोट में टीम के 40 मूल्यवान सदस्यों की मृत्यु
उन्होंने बताया, ”प्रोफाइलिंग की प्रक्रिया चल रही है। हमें जो भी नमूने मिले हैं, उनकी जांच जल्द ही पूरी हो जाएगी।” कंपनी ने एक बयान में कहा, ”हम दुख के साथ हादसे का विवरण साझा कर रहे हैं जिसके परिणामस्वरूप हमारी ‘टीम के 40 मूल्यवान सदस्यों की मृत्यु’ हो गई और 33 से अधिक घायल हो गए।”
कंपनी ने यह भी स्पष्ट किया कि यह दुर्घटना रिएक्टर विस्फोट के कारण नहीं हुई, जैसा कि कुछ मीडिया में बताया गया है। कंपनी ने कहा कि संयंत्र का संचालन लगभग 90 दिनों के लिए अस्थायी रूप से निलंबित रहेगा।
कंपनी के उपाध्यक्ष ने कही ये बात
कंपनी के उपाध्यक्ष चिदंबरनाथन शानमुगनाथन ने कहा, ”कोई भी लापरवाही नहीं हुई है। हम 35 वर्षों से पूरी संतुष्टि के साथ और अपने कर्मचारियों की सद्भावना के लिए प्लांट चला रहे हैं। हम उनकी अनदेखी कैसे कर सकते हैं?” हालांकि, जब अग्निशमन विभाग से एनओसी नहीं होने के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि वह पिछले पांच वर्षों से प्लांट की देखरेख नहीं कर रहे हैं और इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकते।
विस्फोट की जांच के लिए विशेषज्ञों की समिति गठित
तेलंगाना सरकार ने बुधवार को आदेश जारी कर विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जो विस्फोट के कारणों की पहचान करेगी और उन घटनाओं का क्रम स्थापित करेगी जिसके परिणामस्वरूप 40 लोगों की मौत हो गई। यह समिति एक महीने के भीतर सरकार को विशिष्ट सुझावों और सिफारिशों के साथ एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी।
प्रदेश स्तर पर जांचकर्ताओं को बड़ी चुनौतियां
आदेश में कहा गया है कि समिति की अध्यक्षता सीएसआइआर-भारतीय रासायनिक प्रौद्योगिकी संस्थान के वैज्ञानिक डॉ. बी. वेंकटेश्वर राव करेंगे। उधर, प्रदेश स्तर पर जांचकर्ताओं को बड़ी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि इस हादसे में तीन प्रमुख अधिकारियों की मौत हो गई है, जो महत्वपूर्ण डाटा प्रदान कर सकते थे। फैक्ट्री मैनेजर, डीजीएम (उत्पादन) और एक आपरेटर की मौत ने जांच के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करने में बड़ी बाधा उत्पन्न कर दी है।