संसद की सुरक्षा में चूक के मामले में दिल्ली हाई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बुधवार को दो आरोपियों, नीलम आजाद और महेश कुमावत, को जमानत दे दी है। हाई कोर्ट के इस फैसले पर दिल्ली पुलिस ने जमानत याचिका का कड़ा विरोध किया था, लेकिन कोर्ट ने उन्हें अब राहत प्रदान की। आपको बता दें कि साल 2023 में लोकसभा में घुसकर पीली गैस छोड़ने और नारेबाजी की घटना सामने आई थी।
कोर्ट ने लगाईं ये शर्तें
दिल्ली हाई कोर्ट ने नीलम आजाद और महेश कुमावत को जमानत देते हुए कुछ सख्त शर्तें लागू की हैं। कोर्ट ने आदेश दिया कि दोनों जमानत के दौरान मीडिया से कोई बातचीत नहीं करेंगे और न ही सोशल मीडिया पर कोई पोस्ट साझा करेंगे। न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद और न्यायमूर्ति हरीश वैद्यनाथन शंकर की खंडपीठ ने दोनों को 50,000 रुपये के निजी मुचलके और समान राशि की दो जमानतों पर रिहाई का आदेश दिया।
पुलिस ने कोर्ट में दी थी ये दलील
इससे पहले निचली अदालत ने इस मामले में आरोपियों की जमानत याचिका को खारिज कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने हाई कोर्ट में इस आदेश को चुनौती दी। दिल्ली हाई कोर्ट ने 21 मई को दोनों की जमानत याचिकाओं पर सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था। सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट को बताया कि आरोपियों का मकसद 2001 के संसद हमले की भयानक यादों को फिर से जागृत करना था।
क्या थी पूरी घटना?
13 दिसंबर 2023 को संसद की सुरक्षा में एक बड़ी चूक की घटना सामने आई थी। इस दिन ही 2001 के संसद पर आतंकी हमले की बरसी भी थी, लेकिन उसी दिन लोकसभा में शून्यकाल के दौरान सागर शर्मा और मनोरंजन डी दर्शक दीर्घा से सदन में कूद गए और पीली गैस छोड़कर जमकर नारेबाजी करने लगे। सांसदों ने उन्हें तुरंत ही पकड़ लिया। उसी समय संसद परिसर के बाहर नीलम आजाद और अमोल शिंदे ने रंगीन गैस का स्प्रे किया और फिर से नारेबाजी की। पुलिस ने जांच के दौरान दो अन्य आरोपियों, ललित झा और महेश कुमावत, को भी गिरफ्तार किया था।