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किसानों की मांग का संसदीय समिति ने किया समर्थन, डल्लेवाल ने SC को पत्र लिखकर की ये अपील

किसानों की मांगों (Farmers demands) को लेकर पिछले 28 दिन से अनशन कर रहे किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल (Farmer leader Jagjit Singh Dallewal) ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) को पत्र लिखकर अपील की है कि संसद की स्थायी समिति की तरफ से की गई सिफारिशों को लेकर केंद्र को निर्देश दिए जाएं। कृषि, पशुपालन और खाद्य प्रसंस्करण को लेकर बनी स्टैंडिंग कमेटी (Standing Committee) ने अपनी रिपोर्ट में किसानों की एमएसपी पर गारंटी वाली मांग का समर्थन किया है। कमेटी ने यह भी कहा है कि एमएसपी के प्रस्ताव को लागू करने के लिए कृषि मंत्रालय को एक रोडमैप तैयार करना चाहिए।

डल्लेवाल ने शनिवार को सुप्रीम कोर्ट की बेंच को पत्र लिखते हुए इस मामले पर विचार करने की अपील की। उन्होंने कहा, मैं आपसे निवेदन करता हूं कि केंद्र सरकार को आप एमएसपी पर कानून बनाने का निर्देश दें। संसद की स्थायी समिति की रिपोर्ट और किसानों के भावनाओं को देखते हुए यह जरूरी हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा (गैरराजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा के लेटरहेड पर डल्लेवाल ने अपने दस्तखत करके यह याचिका फाइल की है।

बता दें कि अधिकतम समर्थन मूल्य यानी एमएसपी खेती के उत्पादों का फिक्स मूल्य होता है। एमएसपी पर गारंटी की मांग किसान लंबे समय से कर रहे हैं। उनका कहना है कि अगर इसपर कानून बन जाता है तो व्यापारी से लेकर बिचौलिए तक फसलों को तय कीमतों पर खरीदने के लिए बाध्य होंगे और किसानों को मुनाफा होगा.। वहीं एमएसपी पर गारंटी ना होने की वजह से बिचौलिए मनमाने दाम में किसानों की फसलों को खरीदने लगते हैं। किसानों का कहना है कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिए यह कदम जरूरी है।

बता दें कि किसान नेता डल्लेवाल पंजाब और हरियाणा के खनौरी बॉर्डर पर 26 नवंबर से ही किसानों की मांगों को लेकर अनशन कर रहे हैं। वहीं शंभू बॉर्डर पर भी किसान डटे हुए हैं। कई बार किसान दिल्ली कूच करने की भी कोशिश कर चुके हैं लेकिन हरियाणा प्रशासन ने उन्हें आगे नहीं बढ़ने दिया। इसके अलावा किसान नेता गुरनाम चढ़ूनी ने भी संसद की स्थायी समिति की सिफारिशों पर चर्चा करने के लिए किसान नेताओं की बैठक बुलाई।

संसदीय समिति ने क्या कहा है
संसद की स्थायी समिति ने कहा है कि अगर एमएसपी को लेकर कानून बनाया जाता है और किसानों को एमएसपी पर गारंटी दी जाती है तो खेती का दायरा बढ़ जाएगा और ग्रामीण अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। बता दें कि संयुक्त किसान मोर्चा (गैर-राजनीतिक) और किसान मजदूर मोर्चा की ओर से जारी एक बयान में कहा गया कि चिकित्सकों की सलाह के बाद वरिष्ठ किसान नेता रविवार को मंच पर नहीं आए। बयान में कहा गया कि 27 दिनों से लगातार भूख हड़ताल करने से उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर हो गई है, जिससे उन्हें संक्रमण का खतरा है।

डल्लेवाल की जांच करने वाले एक चिकित्सक ने खनौरी सीमा पर संवाददाताओं को बताया, ‘उनके हाथ-पैर ठंडे थे। भूख से उनके तंत्रिका तंत्र, यकृत और गुर्दे जैसे महत्वपूर्ण अंगों पर प्रभाव पड़ रहा है। उनका रक्तचाप भी घट-बढ़ रहा है, कभी-कभी बहुत तेजी से गिर जाता है, जो चिंता का विषय है।” डॉक्टर ‘5 रीवर्स हार्ट एसोसिएशन’ नामक एक गैर सरकारी संगठन के चिकित्सकों की टीम का हिस्सा हैं।

उन्होंने कहा, ‘वह सही से बातों का जवाब नहीं दे पा रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि डल्लेवाल का ‘ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन’ भी सकारात्मक मिला, जो निम्न रक्तचाप का एक प्रकार है जिससे चक्कर या हल्का सिरदर्द और बेहोशी आ सकती है। किसान नेताओं के हवाले से बयान में कहा गया कि डल्लेवाल की भूख हड़ताल के समर्थन में 24 दिसंबर को शाम 5.30 बजे देशभर में कैंडल मार्च निकाला जाएगा। उन्होंने कहा कि जब 26 दिसंबर को डल्लेवाल के अनशन का एक महीना पूरा हो जाएगा तो तहसील और जिला स्तर पर सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक सांकेतिक भूख हड़ताल की जाएगी। (भाषा से इनपुट्स के साथ)