हरियाणा में बसपा के चार उम्मीदवारों की घोषणा के बाद अब इनेलो ने भी 7 सीटों पर गठबंधन के प्रत्याशियों को घोषणा की है। इनेलो के राष्ट्रीय अध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला से विचार-विमर्श के बाद प्रदेशाध्यक्ष रामपाल माजरा ने रविवार को सात विधानसभा उम्मीदवारों की दूसरी सूची जारी की। इससे पहले इनेलो तीन प्रत्याशियों की पहली सूची जारी कर चुका है।
इनमें कलायत विधानसभा हलका से खुद रामपाल माजरा, लाडवा से शेर सिंह बड़शामी, नारनौंद से उमेद लोहान और बहादुरगढ़ से पूर्व विधायक स्वर्गीय नफे सिंह राठी की पत्नी शीला राठी उम्मीदवार होंगी। रानियां विधानसभा सीट से अभय सिंह चौटाला के बेेटे अर्जुन सिंह चौटाला, हथीन से तैयब हुसैन भीमसीका और कालांवाली से मास्टर गुरतेज सिंह सुखचैन को उम्मीदवार घोषित किया गया है।
इनेलो के 10 और बसपा के 4 उम्मीदवारों को मिलाकर अब तक कुल 14 उम्मीदवारों की घोषणा की जा चुकी है। इससे पहले इनेलो ने यमुनानगर से दिलबाग सिंह, महेंद्रगढ़ से सुरेंद्र कौशिक और ऐलानाबाद से अभय सिंह चौटाला को प्रत्याशी घोषित किया था।
रामपाल माजरा : तीन बार रह चुके विधायक
रामपाल माजरा ने गांव के सरपंच बनने से अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत की थी। 1996 में वह समता पार्टी से पाई से विधायक बने। 2000 में इनेलो के टिकट पर दोबारा विधायक बने। 2005 में वह हार गए और 2009 में कलायत विधानसभा से विधायक बने। पिछले विधानसभा चुनावों में वह भाजपा में चले गए थे, लेकिन उनको टिकट नहीं मिला। कुछ माह पहले उन्होंने फिर इनेलो में वापसी की और प्रदेशाध्यक्ष बने। माजरा बीए बीएड-एलएलबी डिग्री धारक हैं।
शेर सिंह बढ़शामी : इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं
शेर सिंह बड़शामी 2009 में लाडवा से इनेलो के विधायक रहे चुके हैं। बड़शामी की गिनती ओमप्रकाश चौटाला परिवार के करीबियों में होती है। वह इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष भी रहे हैं और चौटाला के सीएम रहते उनके राजनीतिक सलाहकार थे। जेबीटी भर्ती घोटाले में नाम आने के बाद उनके राजनीतिक जीवन पर असर पड़ा, लेकिन वह एक बार फिर मैदान में उतर रहे हैं। लाडवा क्षेत्र में उनका बड़ा प्रभाव है।
उमेद लोहान : जजपा और कांग्रेस में जाने के बाद की घर वापसी
उमेद सिंह लोहान इनेलो में युवा प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। 2005 में बरवाला हलके से विधानसभा चुनाव लड़ा, लेकिन हार गए। 2014 में भी हांसी हलके से चुनाव लड़ा, लेकिन फिर उनको हार का मुंह देखना पड़ा। इनेलो टूटने पर वो जजपा में शामिल हो गए थे, लेकिन 2019 में नारनौंद हलके से जजपा का टिकट न मिलने पर खफा हो गए। रामकुमार गौतम को टिकट मिलने के बाद उन्होंने पार्टी से दूरी बना ली थी। जजपा से वह कांग्रेस में गए और बाद में फिर इनेलो मेंं आ गए।
शीला राठी : राठी परिवार पर विश्वास, सहानुभूति की आस
नफे सिंह राठी बहादुरगढ़ से पूर्व विधायक और इनेलो के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। फरवरी में उनकी गोलियां मारकर हत्या कर दी गई थी। पहले नफे सिंह राठी के बेटे जितेंद्र राठी को चुनाव लड़ाने की बात हुई थी। बाद में परिवार के फैसले के मुताबिक नफे सिंह राठी की पत्नी शीला राठी ने चुनाव लड़ने की इच्छा जताई। इसके बाद इनेलो ने उनके नाम पर मुहर लगा दी। राठी परिवार का बहादुरगढ़ हलके में प्रभाव है, दूसरा इनेलो को यहां नफे सिंह राठी के नाम पर सहानुभूति की भी आस है। राठी परिवार चौटाला परिवार का काफी करीबी माना जाता है।
अर्जुन चौटाला : गढ़ को बचाने की रणनीति
अभय चौटाला के बेटे अर्जुन चौटाला 2019 में कुरुक्षेत्र लोकसभा का चुनाव लड़ चुके हैं। इस बार विधानसभा चुनाव में उनको अपने पुराने गढ़ को बचाने की जिम्मेदारी मिली है। बीते चुनाव में रानियां से उनके दादा रणजीत सिंह विधायक बने थे और इस बार दोबारा मैदान में उतरने को तैयार हैं। अर्जुन चौटाला स्नातक तक पढ़े हैं और राजनीति की मजबूत समझ रखते हैं।
मास्टर गुरतेज सिंह : 10 दिन पहले पार्टी में शामिल
मास्टर गुरतेज सिंह सुखचैन 10 दिन पहले ही पार्टी में शामिल हुए हैं। उनका परिवार शुरुआत से ही इनेलो से जुड़ा है, लेकिन 2014 में इनेलो से उनके पिता की जगह बलकौर सिंह को टिकट मिलने से नाराज गुरतेज ने पार्टी छोड़ दी थी। गुरतेज ने बीती 31 जुलाई को हेड टीचर के पद से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली है। गुरतेज के पिता बुध सिंह 2006 से 20016 तक जिला पार्षद रहे हैं।
तैयब हुसैन : लड़ चुके दो चुनाव, दुष्कर्म का आरोप
2014 और 2019 का चुनाव बसपा के टिकट पर लड़ा, लेकिन हार गए। 2014 के चुनाव में चौथे और 2019 में तीसरे नंबर पर रहे थे। पिछले दिनों ही बसपा को छोड़ इनेलो में शामिल हुए हैं। अब इनेलो बसपा के गठबंधन में सीट इनेलो के पक्ष में आने पर इनेलो ने टिकट दिया है। 2016 में नाबालिग लड़की से दुष्कर्म के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। यह मामला अभी हाईकोर्ट में विचाराधीन है।