लखनऊ. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक बड़ा फैसला लिया है. यूपी में अब सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, जनजाति (एससी-एसटी) के गरीब छात्रों की फीस जमा करना अब सरकार की जिम्मेदारी होगी. इस फैसले के बाद अब प्रवेश नियमावली में परिवर्तन से होने वाली गड़बडिय़ों की आशंका भी खत्म होने की उम्मीद है.
बताया जाता है कि शिक्षा ग्रहण करने के दौरान फीस जमा करना एक बड़ी समस्या रहती है. यह सही है कि सरकार एससी-एसटी छात्रों को स्कॉलरशिप व अन्य फीस माफी की सुविधाएं प्रदान करती है. लेकिन इसके लिये एक छात्रों को लम्बी सरकारी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है. जिसके चलते कई बच्चे तो समय पर फीस नहीं जमा हो पाने के कारण पढ़ाई तक छोडऩे को मजबूर हो जाते हैं. यह बात सरकारों के संज्ञान में भी रहती है फिर भी अभी तक इस समस्या का समाधान किसी सरकार ने तलाशना उचित नहीं समझा. लेकिनु अब योगी सरकार ने गरीब एससी-एसटी छात्रों की इस समस्या को एक झटके में दूर कर दिया है. नई प्रक्रिया के अनुसार अब यदि उच्च शिक्षा में किसी एससी-एसटी छात्र को निशुल्क प्रवेश मिलता है तो यह उनके लिए एक बड़ी राहत तो होगी आवेदन के समय प्रमाण पत्रों के सत्यापन को लेकर भी उन्हें परेशान नहीं होना होगा.
बता दे कि वंचित वर्ग में आने वाले अनुसूचित जाति और जनजाति के बच्चों के लिए दशमोत्तर कक्षाओं में नि:शुल्क प्रवेश की व्यवस्था पहले से ही थी लेकिन अब तक सरकार इसके लिए शुल्क की प्रतिपूर्ति किया करती थी. जिसका मतलब था पहले फीस जमाई करायी जाती थी और बाद में सरकार उसे वापस करती थी. ऐसे में छात्रों के परिवारों के लिए प्रवेश के समय भारी-भरकम फीस की व्यवस्था एक बड़ी समस्या हो जाती थी. गरीब परिवार की सबसे बड़ी चिंता यही होती है कि अपने बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए जरूरी धनराशि कहां से लाएंगे जो नियमावली में बदलाव से दूर हो जाएगी. सरकार ने इस योजना के दायरे में सिर्फ सरकारी व अनुदानित कालेजों को ही शामिल किया है. लेकिन एसटी-एससी वर्ग को इसका वास्तविक लाभ तभी मिल पाएगा जब निजी कालेजों में भी प्रवेश नि:शुल्क के लिये उक्त प्रक्रिया अमल में लाई जायेगी. वैसे सरकार इस ओर से भी आंखें मूंदे नहीं बैठी है.
गौरतलब है कि यूपी सरकार अब तक ढाई लाख रूपये तक की सलाना आय वाले अनूसूचित जाति-जनजाति वाले परिवारों के छात्रों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क की प्रतिपूर्ति करती रही है. अब सरकार इनकी फीस की गांरटी स्वंय लेगी और शिक्षा संस्थानों को भुगतान करेगी. इससे एक तो छात्रों को फीस की व्यवस्था करने से राहत मिल जायेगी दूसरे इसमें व्यापक स्तर पर जो गड़बडिय़ां सामने आतीं थीं वे भी दूर हो जायेंगी. कई निजी संस्थाओं ने तो अपने यहां एससी-एसटी के 50 प्रतिशत छात्रों का प्रवेश तक दिखा दिया था और फीस की रकम हड़प गए थे. इससे सबक लेते हुए ही नई व्यवस्था में फ्री शिप कार्ड की व्यवस्था की गई है जो सभी प्रमाणपत्रों के सत्यापन से बनेगा.