मदर्स डे (Mothers Day) मां के बारे में सोचने, उन्हें सम्मान देने और उनके लिए कुछ करने के लिए हमारी अपनी भूमिका और कर्तव्य का दिन है। मदर्स डे (Mothers Day) की कोई निश्चित तारीख नहीं होती, किन्तु यह दिन हर साल मई के दूसरे रविवार को मनाया जाता है। इस बार मदर्स डे 14 मई, 2023 को मनाया जा रहा है।
आपको जानकारी के लिए बता दें कि सुखद और स्वस्थ मातृत्व के लिए जरूरी है सेहत का ख्याल रखना और बच्चे के जन्म के बाद मां के तन-मन में जो बदलाव होते हैं, उनके प्रति सजग रहना चाहिए। मां बनने के बाद शरीर की संचित ऊर्जा क्षीण होने लगती है। बच्चे का ध्यान रखने में मां के खाने, सोने का समय नियमित नहीं रह पाता। इस कारण कई चुनौतियां आ सकती हैं। न केवल शारीरिक, बल्कि मानसिक भी। पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन ऐसी ही एक चुनौती है।
पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन मां को स्वयं के प्रति लापरवाह बना देता है। यहां तक कि बच्चे से भी जुड़ाव कम हो सकता है। नन्हे मेहमान के आगमन के बाद मां के मन में केवल खुशी की ही लहरें उठें, ऐसा जरूरी नहीं। वह गंभीर उदासी का भी शिकार हो सकती हैं। नई जिम्मेदारियों के कारण मानसिक और शारीरिक उतार-चढ़ाव आते हैं। पर यह अवसाद का रूप लेने लगे तो सजग हो जाना चाहिए। गर्भावस्था के समय, प्रोजेस्टेरोन और एस्ट्रोजेन हार्मोन के स्तर सामान्य से अधिक होते हैं। डिलीवरी के बाद यह स्तर अचानक सामान्य हो जाता है। इस परिवर्तन से भी समस्या हो सकती है। अपर्याप्त आहार, नींद में कमी, थायरायड हार्मोन के कम स्तर जैसे कारक भी पोस्ट-पार्टम डिप्रेशन का कारण बन सकते हैं। इसका इलाज न किया जाए तो यह मोटापा, दिल का दौरे का जोखिम बढ़ सकता है।
देसी घी कितना जरूरी?
मान्यता है कि इस दौरान भरपूर घी का सेवन करना चाहिए ताकि बच्चे को पर्याप्त दूध मिले। इसलिए लड्डू, पंजीरी आदि भरपूर घी डालकर तैयार किया जाता है। यह तरीका ठीक नहीं है। देसी घी का समावेश होना चाहिए पर इसकी अधिक मात्रा सेहत से बात बिगड़ सकती है।
मसाज की भूमिका
नई मांओं का मसाज की परंपरा रही है। पहले शरीर में वाटर रिटेंसन न रहे इसलिए मसाज जरूरी माना जाता था। पर अब दवा देकर इन सब दिक्कतों से निपट लिया जाता है। मसाज गलत नहीं है पर यह अनिवार्य भी नहीं है। हल्के मसाज से शरीर और मन को आराम मिल सकता है।