90 के दशक में हुए इसरो जासूसी कांड को लेकर सीबीआई ने बड़ा दावा किया है। दरअसल केरल हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा है कि इसरो जासूसी कांड, अंतरराष्ट्रीय साजिश थी क्योंकि वैज्ञानिक जानकारी लीक होने की बात मनगढ़ंत थी। केरल हाईकोर्ट में इसरो जासूसी कांड में साजिश रचने के आरोपियों की गिरफ्तारी पूर्व जमानत याचिका पर सुनवाई हो रही थी। इसी दौरान सीबीआई ने आरोपियों की जमानत का विरोध करते हुए उक्त दावा किया। बता दें कि इसरो जासूसी कांड में अंतरिक्ष वैज्ञानिक नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था।
जासूसी कांड के समय नंबी नारायण इसरो में लिक्विड प्रोपेलेंट इंजन वैज्ञानिक थे और उन्हें जासूसी कांड में फंसाया गया था। हाईकोर्ट में सीबीआई ने कहा कि नंबी नारायण की गिरफ्तारी संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय साजिश का हिस्सा थी। इस दावे के समर्थन में मंगलवार को केस डायरी जारी की जाएगी। सीबीआई ने कहा कि मामले के आरोपियों से पूछताछ की जरूरत है और ऐसे में उन्हें अग्रिम जमानत नहीं दी जानी चाहिए।
बता दें कि आरोप था कि साल 1994 में नंबी नारायण ने क्रायोजेनिक इंजन तकनीक एक मालदीव की नागरिक रशीदा के द्वारा पाकिस्तान को बेची थी। इस मामले में केरल पुलिस ने नंबी नारायण के साथ ही इसरो के तत्कालीन डिप्टी डायरेक्टर डी शशिकुमारन और रशीदा की मालदीव की दोस्त फौजिया हसन को गिरफ्तार किया था। गिरफ्तारी के वक्त नंबी नारायण इसरो में क्रायोजेनिक इंजन प्रोजेक्ट के डायरेक्टर थे।
हालांकि जांच के बाद नंबी नारायण निर्दोष पाए गए। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने साल 1998 में नंबी नारायण को जेल से रिहा करने का आदेश दिया था। इसके बावजदू नंबी नारायण को 50 दिन और जेल में गुजारने पड़े थे। नंबी नारायण ने इस मामले पर एक किताब लिखी है, जिसमें उन्होंने दावा किया कि अमेरिकी खूफिया एजेंसी सीआईए ने भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम को रोकने के लिए साजिश रची थी, जिसमें उन्हें फंसाया गया।
इसरो जासूसी कांड में जब नंबी नारायण को गिरफ्तार किया गया था तो उस वक्त केरल में कांग्रेस की सरकार थी। सीबीआई की जांच में सामने आया है कि नंबी नारायण की अवैध गिरफ्तारी में केरल सरकार के तत्कालीन बड़े अधिकारी भी शामिल थे। इस मामले में केरल के पूर्व डीजीपी सिबी मैथ्यूज, दो रिटायर्ड एसपी केके जोशुआ और एस विजयन आरोपों के घेरे में हैं।