छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) के पंचायत मंत्री टीएस सिंहदेव (Panchayat Minister TS Singhdeo) के इस्तीफे के बाद प्रदेश की राजनीति में भूचाल आ गया है। मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा (BJP) ने भूपेश बघेल (Bhupesh Baghel) पर हमला बोला। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह (Former Chief Minister Dr. Raman Singh) ने कहा कि सिंहदेव सरकार में दूसरे नंबर के मंत्री है। वह ऐसे मंत्री हैं, जिन्होंने प्रदेश सरकार को यहां तक लाने में योगदान दिया। जनघोषणा पत्र क्रियान्वयन के अध्यक्ष के रूप में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी, लेकिन आज वो निराश और हताश हैं। यह स्थिति छत्तीसगढ़ के सभी मंत्रियों में है। सभी आक्रोशित हैं। महाराष्ट्र जैसी स्थिति छत्तीसगढ़ में बन रही है। सरकार धरी रह गई और सारे लोग बगावत में आ गए।
डॉ. रमन ने कहा कि किसी सरकार में पंचायत विभाग के भारसाधक मंत्री को यह कहना पड़े कि मेरे धैर्य की सीमा टूट चुकी है। मैं इस पद को धारण नहीं कर सकता। इसका मतलब यह है कि सरकार में मुख्यमंत्री व मंत्रियों के बीच स्थिति ठीक नहीं है। डॉ. रमन ने कहा कि सरकार के वरिष्ठतम मंत्री को अपने विभाग में काम करने का अधिकार नहीं मिला। अपने विभाग के कामों की प्रशासनिक स्वीकृति देने का भी अधिकार उन्हें नहीं दिया गया। उसके विभाग के निर्णय उनसे बगैर पूछे लिए जाते रहे। कोई सूचना भी उन्हें नहीं दी गई। भूपेश बघेल सरकार भी महाराष्ट्र सरकार की तर्ज पर चल रही है।
8 लाख गरीबों के मकान को बनने नहीं दिया
डॉ. रमन सिंह ने कहा कि सिंहदेव ने अपने इस्तीफे का सबसे बड़ा कारण अपने घोषणा पत्र के वादों को बताया है। प्रदेश में प्रधानमंत्री आवास योजना के 8 लाख मकान बनाना था, जिसे भूपेश बघेल ने बनने नहीं दिया। 10 हजार करोड़ का इनवेस्टमेंट छत्तीसगढ़ में आता। 10 हजार करोड़ का नुकसान छत्तीसगढ़ को हुआ है। 8 लाख गरीबों को आवास मिलते। गरीबों के जीवन में खुशहाली आती, लेकिन यह नहीं हो पाया, जिससे टीएस सिंहदेव निराश हुए। उन्हें लगा की गरीबों को आवास नहीं दे पाएं। इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को दोषी बताया है।
विभागीय कामों का अधिकार भी छिन लिया गया
डॉ. रमन ने कहा कि सिंहदेव ने अपने इस्तीफे में दूसरा विषय अपने विभाग के कामों पर चिन्हांकित किया है। उनके विभाग में चल रहे कार्यों की प्रशासनिक स्वीकृति का काम होता है। उसका अनुमोदन करने का अधिकार उस विभाग के मंत्री को होता है। लेकिन आश्चर्य होता है कि पंचायत एवं ग्रामीण विभाग के लिए अनुमोदन के लिए चीफ सेक्रेटरी की अध्यक्षता में सचिवों की कमेटी बना दी गई है। टीएस सिंहदेव से 500 करोड़ रुपये की योजनाओं की स्वीकृति देने को अधिकार छिन लिया गया। काम नहीं हो पाया इसका इसकी वजह से निराशा टीएस सिंहदेव के मन में है।
पेसा कानून का प्रारूप कैबिनेट में बदल दी गई
डॉ. रमन ने बताया कि सिंहदेव ने अपने इस्तीफे में पेसा कानून का उल्लेख किया है। पेशा कानून से संबंधित प्रस्तावों को कैबिनेट में उसकी पेशी बदल दी गई। विभाग ने जो प्रारूप कैबिनेट को भेजा था, उसमें जल, जंगल और जमीन महत्वपूर्ण बिंदू को बिना विश्वास में लिए बदल दिया गया। जन घोषणा पत्र में महत्वपूर्ण वादा किया था, उन वादों को पूरा नहीं किया जा रहा है। मंत्री को प्रशासनिक स्वीकृति देने का अधिकार नहीं दिया, आवास योजना में पैसा दे नहीं सकते हैं। उनके विभाग में परियोजना अधिकारियों को हटाने और पुन: नियुक्ति कर दिया गया। ऐसी स्थिति छत्तीसगढ़ में सभी मंत्रियों की है। बाकी लोग मन ही मन में आक्रोशित हैं। यह विस्फोटक होगा। महाराष्ट्र में जो स्थिति बनी थी। सरकार धरी रह गई और सारे लोग बगावत में आ गए।