देश में नए लेबर कोड को लागू करने की तैयारी में केंद्र सरकार जुटी है। सरकार नौकरीपेशा लोगों की वर्किंग लाइफ में बदलाव के लिए नए नियम को लागू करने की तैयारी में है। हालांकि, नए लेबर कोड को देश में कब से लागू किया जाएगा। इसपर अभी कुछ भी साफ नहीं है। लेकिन ये तय है कि इसे लागू किया जाएगा। नए कोड के लागू होने के बाद सप्ताहिक छुट्टी से लेकर नौकरीपेशा लोगों की सैलरी में भी बदलाव होगा।
कंपनियों को अपनी वर्किंग स्ट्रैटजी को बदलना पड़ सकता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हाल ही में कहा था कि फ्लेक्सिबल वर्क प्लेसेज और फ्लेक्सिबल वर्किंग घंटे भविष्य की जरूरतें हैं।
केंद्र सरकार चाहती है कि सभी राज्य नए लेबर कोड को एक साथ लागू करें। लोगों की पर्सनल लाइफ और काम के बीच में बैलैंस के लिए इस कॉन्सेप्ट को लाया जा रहा है। चार नए कोड नए लेबर कोड वेज, सोशल सिक्योरिटी, इंडस्ट्रियल रिलेशंस और ऑक्यूपेशनल सेफ्टी से जुड़े हैं।
नए लेबर कोड के लागू होने के बाद जिस होने वाले बदलाव की सबसे अधिक चर्चा है, वो है तीन दिन का वीकली ऑफ। नए लेबर कोड में तीन छुट्टी और 4 दिन काम का प्रावधान है। हालांकि, काम के घंटे में इजाफा होगा। नए लेबर कोड लागू होने के बाद आपको दफ्तर में 12 घंटे काम करने होंगे। कुल मिलाकर सप्ताह में आपको 48 घंटे काम करने होंगे। इसके बाद आपको तीन दिन का सप्ताहिक अवकाश मिलेगा।
इसके अलावा छुट्टियों को लेकर भी एक बड़ा बदलाव होगा। पहले किसी भी संस्थान में लंबी अवधि की छुट्टी लेने के लिए साल में कम से कम 240 दिन काम करना जरूरी होता था। लेकिन नए लेबर कोड के तहत आप 180 दिन काम करना जरूरी होता था। लेकिन नए लेबर कोड के तहत आप 180 दिन (6 महीना) काम करने के बाद लंबी छुट्टी ले सकेंगे।
नए वेज कोड के लागू होने के बाद टेक होम सैलरी यानी इन हैंड सैलरी आपके खाते में पहले के मुकाबले कम आएगी। सरकार ने नए नियम में प्रावधान किया है कि किसी भी कर्मचारी की बेसिक सैलरी उसकी टोटल सैलरी (CTC) का 50 फीसदी या उससे अधिक होनी चाहिए। अगर आपकी बेसिक सैलरी अधिक होगी, तो पीएफ कंट्रीब्यूशन बढ़ जाएगा। सरकार के इस प्रावधान से रिटायरमेंट के समय कर्मचारियों को मोटी रकम मिलेगी। साथ ही ग्रेज्युटी का पैसा भी अधिक मिलेगा। इससे उनका भविष्य आर्थिक रूप से मजबूत बनेगा।
केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव ने हाल ही में कहा था कि हमने पुराने कानूनों को युक्तिसंगत बनाया है और पुरुषों व महिलाओं दोनों के लिए उचित मेहनताना सुनिश्चित करने के लिए ऑक्यूपेशनल सेफ्टी एंड वेज स्टैंडर्ड पर विचार किया है। उन्होंने कहा कि 29 विभिन्न अधिनियमों को चार नए लेबर कोड में तब्दील कर दिया गया है।