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27 जून को एक साथ घोषित होगा हाईस्कूल-इंटरमीडिएट परीक्षा का रिजल्ट, ऐसे चेक करें

उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा 2020 का परिणाम 27 जून को एक साथ घोषित होगा। यूपी बोर्ड की सचिव नीना श्रीवास्तव ने यह एलान करते हुए कहा है कि हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा का रिजल्ट यूपी बोर्ड मुख्यालय पर शनिवार को दोपहर 12.30 बजे जारी होगा। इसकी सारी तैयारियां पूरी की जा रही हैं। यह परिणाम दिल्ली में भी रफी मार्ग आइएनएस बिल्डिंग से भी उसी समय जारी होगा।

स्टूडेंट्स रिजल्ट जारी होने के बाद यूपी बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट upmsp.edu.in और upresults.nic.in पर देख सकेंगे। यूपी बोर्ड ने इस वर्ष 10वीं की परीक्षा 18 फरवरी 2020 से 3 मार्च 2020 के मध्य सफलता पूर्वक पूरी कराई थी, जबकि 12वीं की परीक्षा 18 फरवरी 2020 से 6 मार्च 2020 के बीच कराई गई थी।परीक्षा में 56 लाख परीक्षार्थी शामिल हुए थे, जिसमें हाईस्कूल के 30,22,607 परीक्षार्थी और इंटरमीडिएट के 25,84,511 परीक्षार्थी थे। इन परीक्षार्थियों के लिए प्रदेश भर में 7784 परीक्षा केंद्र बनाए गए। प्रत्येक परीक्षा केंद्रों पर सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे।

इस बार बोर्ड परीक्षाओं की निगरानी के लिए प्रदेश भर में कुल 19 लाख कैमरे लगाए गए। इसके साथ ही इस परीक्षा के लिए 1.88 लाख कक्ष निरीक्षक नियुक्त किये गए। इन्हें परीक्षा केंद्र पर अपने पहचानपत्र और आधार कार्ड के साथ ड्यूटी करने को कहा गया था। Also Read – कहां पर किसको रोजगार मिला, सरकार के पास नहीं है आंकड़ा परीक्षा में पहले से ज्यादा बरती गई सख्ती : यूपी बोर्ड के अनुसार, इस बार परीक्षा में पहले से ज्यादा सख्ती बरती गई। सभी परीक्षा केंद्रों को सीसीटीवी कैमरा, वॉयस रिकॉर्डर, ब्रॉडबैंड, राउटर जैसी तकनीकों से लैस किया गया था।

हर जिले में एक मॉनिटरिंग सेल बनाया गया था, जिसे लखनऊ में शिक्षा निदेशक के कार्यालय से जोड़ा गया था। पूरी परीक्षा स्पेशल टास्क फोर्स, जिलाधिकारी और पुलिस की देखरेख में संपन्न कराई गई। रंगीन उत्तर पुस्तिकाओं का उपयोग : उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट परीक्षा में इस बार परीक्षा की कॉपियों को चार रंगों में बनवाई थी। ये कॉपियां नीला, पीला, हरा और गुलाबी रंग की थीं। इसके साथ ही बोर्ड परीक्षा की कॉपियों में क्रमांक भी दर्ज किये गए थे। इसका उद्देश्य परीक्षा को नकलविहीन बनाना था। उत्तर पुस्तिकाओं में क्रमांक दर्ज होने से इन्हें बाहरी कॉपियों से बदला नहीं जा सका।