Breaking News

2020 दिल्ली दंगे के 9 आरोपियों को कोर्ट ने किया बरी, कहा- जो आरोप लगाए गए वो नहीं हुए साबित

लगभग तीन साल पहले 2020 में देश की राजधानी दिल्ली के उत्तर पूर्वी इलाके में हुए दंगे के दौरान आगजनी, तोड़फोड़ और अन्य अपराधों के मामले में एक अदालत ने सोमवार को 9 लोगों को बरी कर दिया है. कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, पुलस्त्य प्रमाचला ने कहा मेरा मानना है कि हेड कांस्टेबल विपिन की एकमात्र गवाही भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती है, जिसने चमन विहार में शिकायतकर्ता की संपत्ति को आग लगा दी थी. ऐसी स्थिति में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ दिया जाता है.

अदालत से बरी हुए लोगों में मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, शाहरुख, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा, आजाद, मोहम्मद फैसल, राशिद उर्फ राजा, अशरफ अली, परवेज और राशिद उर्फ मोनू शामिल हैं. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा कि भले ही विपिन हर दिन जांच अधिकारियों के साथ पुलिस स्टेशन में ब्रीफिंग में शामिल होते थे, लेकिन उन्होंने औपचारिक रूप से इसे कहीं भी रिकॉर्ड नहीं किया है.

इतनी देरी से क्यों दी जानकारी

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा विपिन ने स्वीकार किया कि पुलिस स्टेशन में हर रोज एक ब्रीफिंग होती थी, जिसमें उनके साथ-साथ आईओ भी शामिल होते थे. फिर भी, आरोपी व्यक्तियों की संलिप्तता के बारे में जानकारी नहीं थी. 7 अप्रैल, 2020 तक औपचारिक रूप से कहीं भी रिकॉर्ड किया गया. अदालत ने हालांकि उल्लेख किया कि विपिन ने कहा था कि उसने लगभग एक सप्ताह या 15 दिनों के दंगों के बाद मौखिक रूप से अपने वरिष्ठ अधिकारियों को अपने साथ जानकारी के बारे में सूचित किया था.

अदालत ने कहा इस गवाह द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों को ऐसी महत्वपूर्ण जानकारी देने में इतनी देरी के लिए कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया गया है. कोर्ट ने कहा अगर वास्तव में ऐसी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई थी, तो वरिष्ठ अधिकारियों ने औपचारिक तरीके से ऐसी जानकारी दर्ज क्यों नहीं कराई. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने कहा महत्वपूर्ण सूचनाओं के प्रकटीकरण में इस तरह की देरी को ध्यान में रखते हुए, मुझे मामले में भी एक से अधिक गवाहों की लगातार गवाही के परीक्षण को लागू करना वांछनीय लगता है.

आरोपियों को मिला संदेह का लाभ

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश ने आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ देते हुए राहत देते हुए कहा एकमात्र गवाही यह मानने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकती कि भीड़ में आरोपी व्यक्तियों की उपस्थिति थी, जिसने चमन विहार में संपत्ति को आग लगा दी थी. ऐसी स्थिति में आरोपी व्यक्तियों को संदेह का लाभ दिया जाता है.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *