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सीट शेयरिंग को लेकर सपा और कांग्रेस में फंसा पेंच, कई बैठकों के बाद भी नहीं बनी सहमति

सपा और कांग्रेस के बीच सीटों के बंटवारे को लेकर पेंच फंसा हुआ है. दिल्ली में कई बैठक होने के बावजूद सहमति नही बन पा रही है. सूत्र बता रहे हैं कि सपा और कांग्रेस में सहमति का पेंच पश्चिम में फंसा हुआ है. पश्चिमी यूपी की आधा दर्जन सीटों पर दोनों चुनाव लड़ना चाहते हैं ये मुख्य कारण है जो सहमति नही बनने दे रहा है. अमरोहा, सहारनपुर, मुरादाबाद और सम्भल सहित आधा दर्जन सीटों पर दोनों की नज़र है. इसके साथ ही कांग्रेस से सपा और बसपा से आए नेताओं को कैंडिडेट बनाने पर भी सहमति नही बन पा रही है.

इमरान मसूद और कुंवर दानिश अली को कांग्रेस कैंडिडेट बनाना चाह रही है जिसका सपा विरोध कर रही है. इसके पीछे सपा के अपने तर्क और जातीय -सामाजिक समीकरण हैं. साथ ही पश्चिम में सहयोगी राष्ट्रीय लोकदल की भी सहमति आवश्यक है. राष्ट्रीय लोकदल से सीटों के बंटवारे के बाद अब कांग्रेस -सपा के बीच सीट शेयरिंग फार्मूला पर बातचीत अपने अंतिम दौर में है.

‘सवाल सीट का नहीं, बल्कि जीत का है’
सीटों पर सहमति को लेकर अखिलेश यादव ने कहा कि हम कांग्रेस से लोकसभा चुनाव में गठबंधन के लिए बातचीत कर रहे हैं, दिल्ली में कई बैठकें हो चुकी हैं. जल्द ही और बैठकें होंगी और रास्ता निकाला जाएगा. उन्होंने कहा कि विपक्षी गठबंधन इंडिया को मजबूत होना चाहिए. सवाल सीट का नहीं, बल्कि जीत का है, जीत के आधार पर हम सब मिलकर फैसला लेंगे. कांग्रेस को दस से भी ज़्यादा सीटें देने के लिए हम तैयार हैं बशर्ते वो जिताऊ कैंडिडेट लेकर आएं.

‘कांग्रेस के साथ सीटों पर जल्द होगा फैसला’
अखिलेश यादव ने कहा कि अच्छे माहौल में सहयोगियों के साथ सीटों के बंटवारे पर सहमति बन रही है. सपा और रालोद ने लोकसभा चुनाव के लिए शुक्रवार को गठबंधन की औपचारिक घोषणा की है. कांग्रेस के साथ भी जल्दी ही सीटों के बंटवारे पर अंतिम फ़ैसला ले लिया जाएगा.

‘सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन में कोई मतभेद नहीं’
कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि सीटों को लेकर इंडिया गठबंधन में कोई मतभेद नही है. हमारा लक्ष्य बीजेपी को रोकना है और हम इसी रणनीति को ध्यान में रखकर सीट शेयरिंग फार्मूला तय कर रहे हैं.लोकसभा चुनाव में बीजेपी को रोकने का फार्मूला बताते हुए कहा कि अलग अलग चुनाव लड़ने से हमारा वोट बिखर जाता था जिसका लाभ बीजेपी को मिलता था और वो जीत जाती थी लेकिन इस बार ऐसा नही होगा. इस बार इंडिया गठबंधन रणनीति के तहत चुनाव लड़ने जा रही है.55% वोट प्राप्त करने की रणनीति बन चूकि है और बीजेपी इस बार 150 से नीचे आ जाएगी.