आने वाले दिनों में आपको महंगी बिजली का करंट लग सकता है। दरअसल, केंद्र सरकार ने चालू वित्त वर्ष में लगभग 76 मिलियन टन कोयले के आयात की योजना बनाई है। मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक आयातित कोयले की ऊंची लागत की वजह से देश में बिजली 50 से 80 पैसे तक महंगी हो सकती है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि जो राज्य सी-पोर्ट से जितने दूर हैं, वहां बिजली के दाम दाम उतने ही अधिक बढ़ सकते हैं। कोयले का आयात: चालू वित्त वर्ष में लगभग 76 मिलियन टन कोयले के आयात की योजना है। इस दौरान कोल इंडिया लिमिटेड (CIL) बिजली स्टेशनों को आपूर्ति के लिए 15 मिलियन टन का आयात करेगी।
वहीं, सबसे बड़ा बिजली उत्पादक एनटीपीसी लिमिटेड और दामोदर घाटी निगम (DVC) 23 मिलियन टन आयात करेंगे। इसके अलावा राज्य उत्पादन कंपनियों (जेनकोस) और स्वतंत्र बिजली उत्पादकों (IPP) ने वर्ष के दौरान 38 मिलियन टन कोयने के आयात की योजना बनाई है।
दरअसल, दूसरी कोविड -19 लहर के दौरान गिरावट के बाद बिजली की मांग में तेजी आई है। बीते 9 जून को बिजली की रिकॉर्ड मांग 211 गीगावॉट की हुई थी। मॉनसून की प्रगति के साथ मांग में कमी आई है, और 20 जुलाई को बिजली की अधिकतम मांग 185.65 गीगावॉट थी।
सूत्रों की मानें तो जुलाई के अंत से कोल इंडिया का कोयला आना शुरू हो जाएगा। असल समस्या अगस्त-सितंबर में आएगी। सूत्र बताते हैं कि आपूर्ति की कमी 15 अक्टूबर तक बनी रह सकती है। उम्मीद है कि आयातित कोयले की मदद से हम इस समस्या से निपट लेंगे।