संसद (Parliament) के दोनों सदनों में पिछले पांच दिनों से सत्तापक्ष और विपक्ष (ruling party and opposition) के बीच गतिरोध बना हुआ है। पांचवें दिन भी दोनों सदनों में सत्तापक्ष ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) से माफी की मांग प्रमुखता से उठाई। कांग्रेस समेत कुछ अन्य विपक्षी दलों के सदस्य अडानी मामले (adani case) की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) गठित करने की अपनी मांग पर अड़े रहे। हंगामा बढ़ने पर दोनों सदनों की कार्यवाही एक बार के स्थगन के बाद दिनभर के लिए स्थगित कर दी गई।
बजट सत्र के दूसरे चरण के पहले सप्ताह में विभिन्न मुद्दों पर सत्तापक्ष और विपक्ष के बीच गतिरोध के कारण संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही चार घंटे भी नहीं चल पाई। लोकसभा की बैठक जहां मात्र 66 मिनट चली, वहीं राज्यसभा कुल 159 मिनट ही चल पाई। भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि कांग्रेस नेता ने विदेशी धरती पर देश की संप्रभुता पर हमला किया है। इसलिए उन्हें देश की जनता से माफी मांगनी होगी। वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विदेश में कथित बयान का उल्लेख करते हुए कहा कि पहले सत्तापक्ष को देश से माफी मांगनी चाहिए।
हंगामे के बीच ही लोकसभा में 17 मार्च को सबसे अधिक 20 मिनट बैठक चली, जबकि 16 मार्च को सबसे कम तीन मिनट कार्यवाही चली। वहीं, राज्यसभा में पूरे सप्ताह में 14 मार्च को सबसे अधिक 82 मिनट और 16 मार्च को सबसे कम तीन मिनट बैठक चली। 14 मार्च को राज्यसभा ने ऑस्कर जीतने पर तेलुगु फिल्म ‘आरआरआर’ और तमिल वृत्तचित्र ‘द एलिफेंट व्हिस्परर्स’ की पूरी टीम को बधाई दी।
राहुल पर देश विरोधी ‘टूलकिट’ का हिस्सा बनने का आरोप
भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बयान जारी कर आरोप लगाया कि राहुल गांधी देश के खिलाफ काम करने वाले ‘टूलकिट’ का स्थायी हिस्सा बन गए हैं। यह समूह देश में कमजोर और गठबंधन की मजबूर सरकार चाहता है, ताकि उसका फायदा उठाया जा सके। उन्होंने राहुल पर अमेरिकी निवेशक जॉर्ज सोरोस की भाषा बोलने का आरोप भी लगाया और दावा किया कि कांग्रेस और सोरोस के बीच साठगांठ हैं। नड्डा ने कहा कि आजाद भारत में इससे पहले किसी नेता ने विदेशी धरती पर इस तरह का देश विरोधी बयान नहीं दिया है।
देश के लोकतंत्र पर सवाल उठाना अपमानजनक
नड्डा ने कहा कि भारत आज दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया है। भारत जी-20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। ऐसे में राहुल गांधी का लंदन में देश के लोकतंत्र पर सवाल उठाना अपमानजनक है। देश के आंतरिक मामलों में विदेशी शक्तियों के हस्तक्षेप की मांग करने पर राहुल को देश से माफी मांगनी ही होगी।
कांग्रेस का पलटवार, अपने गिरबान में झांके भाजपा
वहीं, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पलटवार करते हुए भाजपा को नसीहत दी कि देश विरोधी होने का आरोप लगाने वालों को पहले अपने गिरेबान में झांकना चाहिए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की बात करने वाले राहुल गांधी सच्चे देशभक्त हैं। खड़गे ने मीडिया से बातचीत में आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री की ओर से विदेश में भारतीय लोगों के खिलाफ टिप्पणियां की गई हैं। भाजपा इसे कैसे भूल गई, क्या इसके लिए सत्तापक्ष को माफी नहीं मांगनी चाहिए?
महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा क्यों नहीं
खड़गे ने कहा कि देश में महंगाई और बेरोजगारी पर भाजपा के पास कोई जवाब नहीं है, इसलिए इन मसलों पर चर्चा नहीं की जाती है। अडानी मामले की जांच से सरकार पीछे हट रही है। केंद्रीय एजेंसियों के दुरुयोग के आरोपों पर भी संसद में चर्चा नहीं कराई जा रही है। उन्होंने दावा किया कि इन सभी मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सियासी रणनीति के तहत राहुल गांधी के बयान को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है।
वेणुगोपाल ने प्रधानमंत्री के खिलाफ विशेषाधिकार का नोटिस दिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने राज्यसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस दिया है। उन्होंने नोटिस में आरोप लगाया है कि प्रधानमंत्री की ओर से कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी को नेहरू उपनाम रखने का सुझाव देना उनके विशेषाधिकार का उल्लंघन है। कांग्रेस सांसद ने कहा कि प्रधानमंत्री को पता है कि पिता का उपनाम बेटी को नहीं मिलता है। यह जानने के बावजूद प्रधानमंत्री की ओर से इस तरह की टिप्पणी करना अनुचित है।
जेपीसी की मांग पर विपक्षी सांसदों ने धरना दिया
अडानी मामले की जांच के लिए जेपीसी के गठन की मांग को लेकर कांग्रेस समेत कई विपक्षी दलों के सांसदों ने शुक्रवार को संसद भवन परिसर में धरना दिया। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी, आम आदमी पार्टी के संजय सिंह, शिवसेना (उद्धव गुट) की प्रियंका चतुर्वेदी समेत विपक्षी दलों के कई सांसद शामिल हुए। इस दौरान विपक्षी सांसदों ने कहा कि सत्तापक्ष अडानी मामले की जांच से बचने की कोशिश कर रहा है, मगर वे अपनी मांग से पीछे नहीं हटेंगे।