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राष्ट्रपति चुनावः अचानक बदले ममता बनर्जी के सुर, कहा-द्रौपदी मुर्मू की जीत की संभावना अधिक’

राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार (presidential candidate) द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को लेकर पश्चिम बंगाल (West Bengal) की मुख्यमंत्री (Chief Minister) ममता बनर्जी (Mamta Banerjee) ने बड़ा बयान दिया है. द्रौपदी मुर्मू को लेकर सीएम बनर्जी के रुख में शुक्रवार को बड़ा परिवर्तन देखने को मिला। उन्होंने उनके खिलाफ की गई अपनी सभी बयानबाजी को ठुकरा दिया और कहा कि एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू के चुनाव में जीतने की संभावना अधिक है।

सीएम बनर्जी ने शुक्रवार को कहा कि अगर भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party) द्रौपदी मुर्मू को चुनाव में उतारने से पहले विपक्ष के साथ चर्चा करती तो सभी विपक्षी दल उनका समर्थन करने पर विचार कर सकते थे। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई को होने वाले राष्ट्रपति चुनाव में मुर्मू के जीतने की बेहतर संभावना है. ममता बनर्जी ने कोलकाता के इस्कॉन में रथ यात्रा के उद्घाटन के दौरान य बातें कहीं।

महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन को बताया बड़ी वजह
द्रौपदी मुर्मू के चुनाव जीतने की संभावना के पीछे ममता बनर्जी ने महाराष्ट्र को वजह बताया. उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन के बाद राजग की स्थिति और मजबूत हो गई है. उन्होंने जोर दिया कि बीजेपी को इस पर पहले चर्चा करनी चाहिए क्योंकि एक आम सहमति वाला उम्मीदवार हमेशा ही देश के लिए बेहतर होता है।

गौरतलब है कि ममता बनर्जी ने विपक्ष की तरफ से राष्ट्रपति उम्मीदवार के लिए विपक्ष के साथ मिलकर कई बैठक की थी. काफी नाम तलाशे जाने के बाद विपक्ष ने संयुक्त उम्मीदवार के तौर पर पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति उम्मीदवार घोषित किया है।

उन्होंने कहा कि मौजूदा समय में सत्ता धारी दल के पास लगभग 49 प्रतिशत निर्वाचक मंडल हैं और राष्ट्रपति का चुनाव कराने के लिए 50 प्रतिशत अंक को पार करने की आवश्यकता है जो बहुत कठिन नहीं लगता।

बता दें कि राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू एक आदिवासी महिला हैं और वह उड़ीसा राज्य से संबंध रखती हैं. वे झारखंड की पूर्व राज्यपाल हैं. अगर वह राष्ट्रपति बनती हैं तो देश के सर्वोच्च पद पर पहुंचने वाली वह पहली आदिवासी महिला होंगी।

बनर्जी ने कहा कि आदिवासियों के प्रति हमारी भावनाएं हैं. अगर भाजपा पहले विपक्षी दलों को बताती कि वह राष्ट्रपति पद के लिए किसी आदिवासी को नामित करेंगे तो सभी विपक्षी दल बैठकर इस पर चर्चा कर सकते थे लेकिन सत्तारूढ़ दल ने हमें केवल सुझाव मांगने के लिए बुलाया था।