भारत सरकार आज रक्षा बलों के लिए ‘अग्निपथ भर्ती योजना’ का ऐलान कर सकती है. इसके तहत युवाओं को 4 साल के लिए भारत की तीनों सेनाओं में भर्ती किया जाएगा, जिसे ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ नाम दिया गया है. तीनों सेना प्रमुख प्रेस कॉन्फ्रेंस में इस योजना की घोषणा करेंगे. दो सप्ताह पहले जल, थल और वायु सेना प्रमुखों ने अग्निपथ योजना के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अवगत कराया था. सैन्य मामलों का विभाग इसे लागू कर रहा है. चार साल के बाद इस स्कीम के तहत भर्ती होने वाले 80% युवाओं को कार्यमुक्त कर दिया जाएगा. सर्वश्रेष्ठ 20% युवाओं को तीनों सेनाएं रिटेन करेंगी.
‘टूर ऑफ ड्यूटी’ का मकसद रक्षा बलों का खर्च और उम्र घटाना भी है. इस स्कीम के लागू होने से भारतीय सेनाओं की एवरेज एज प्रोफाइल 35 साल से घटकर 25 साल हो जाएगी. अग्निपथ स्कीम के तहत सेना के तीनों अंगों में पहले साल 45 हजार से ज्यादा युवाओं की भर्ती हो सकती है. सशस्त्र बलों का अनुमान है कि इस योजना के सफल होने पर सरकार को उनके वेतन, भत्तों और पेंशन के मद में हजारों करोड़ रुपये की बचत होगी. सैन्य मामलों के विभाग ने अग्निपथ योजना बनाने से पहले 8 देशों के लागू इसी तरह के मॉडल का अध्ययन किया है.
‘अग्निपथ’ की तर्ज पर ‘अग्निवीर’ योजना लाने का प्लान
चार साल की अवधि पूरा होने पर जिन 80 प्रतिशत युवाओं को कार्यमुक्त किया जाएगा, उन्हें आगे रोजगार के अवसरों के लिए सशस्त्र बलों से सहायता मिलेगी. कई निगम और प्राइवेट कंपनियां ऐसे प्रशिक्षित और अनुशासित युवाओं के लिए नौकरी आरक्षित करने में भी रुचि लेंगे, जिन्होंने अपने देश की सेवा की है. गौरतलब है कि भारत के पहले सीडीएस दिवंगत जनरल बिपिन रावत सेना में ‘टूर ऑफ ड्यूटी’ प्लान लागू करने पर काम कर रहे थे. हालांकि, उनके निधन के बावजूद सैन्य अधिकारियों ने इस योजना को अमलीजामा पहनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ा. अब सैनिक पदों के लिए भी ‘अग्निपथ’ की तर्ज पर ‘अग्निवीर’ योजना लाने का प्लान तीनों सेनाएं तैयार कर रही हैं.
करीब 30000 रुपए प्रतिमाह का भुगतान करेगी सरकार
‘टूर ऑफ ड्यूटी’ के तहत भर्ती होने वाले युवाओं को चार वर्षों में, लगभग 30,000 रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाएगा, जिसमें से 9000 रुपये सरकार द्वारा अपने पास रखा जाएगा. चार वर्षों का कार्यकाल समाप्त होने के बाद सरकार इन पैसों का भुगतान करेगी. इसका मतलब होगा कि 21 साल के युवक के लिए 10 लाख रुपये या उससे अधिक की राशि की व्यवस्था होगी, जब वह सेना में 4 वर्ष देने के बाद वापस जाने के लिए तैयार हो. यह योजना सुनिश्चित करेगी कि भारतीय सशस्त्र बल युवा बने रहें और उम्मीद है कि उनकी ‘जोखिम लेने की क्षमता’ भी बढ़ेगी.