बंगाल में भवानीपुर सीट पर उपचुनाव दिलचस्प होने जा रहा है। इस सीट पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के खिलाफ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने वकील प्रियंका टिबरेवाल को उतारने का फैसला किया है। भाजपा ने शुक्रवार को आधिकारिक तौर पर भवानीपुर सीट से उम्मीदवार के रूप में प्रियंका के नाम की घोषणा की। वैसे पहले से उनके नाम की चर्चा चल रही थी। प्रियंका बंगाल हिंसा पीड़ितों का केस लड़ रही हैं। ममता के मुकाबले प्रियंका को उतारकर भाजपा ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह मुख्यमंत्री को कड़ी टक्कर देने जा रही है। साथ ही महिला के खिलाफ महिला उम्मीदवार को ही उतारकर भाजपा ने बड़ा दांव चला है।
वहीं, भवानीपुर के अलावा दो और विधानसभा सीटों जंगीपुर और शमशेरगंज विधानसभा सीट पर होने वाले चुनाव के लिए भी भाजपा ने प्रत्याशी के नाम की घोषणा की है। जंगीपुर से सुजीत दास जबकि शमशेरगंज से मिलन घोष को ही पार्टी ने उम्मीदवार बनाया है। वैसे इन दोनों सीटों के लिए सिर्फ औपचारिकतावश प्रत्याशी के नाम की घोषणा की गई है, क्योंकि दोनों का नामांकन पहले ही हो चुका है। गौरतलब है कि मार्च- अप्रैल में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान इन दोनों सीटों पर कोविड-19 के कारण के एक-एक प्रत्याशी की मौत के कारण चुनाव को टाल दिया गया था।
इधर, बंगाल विधानसभा में विपक्ष के नेता सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि भवानीपुर की जनता भाजपा के साथ है। भाजपा ने उन्हें नंदीग्राम में हराया, पार्टी इस सीट पर भी उन्हें हराएगी। बता दें कि इस साल की शुरुआत में हुए विधानसभा चुनाव में ममता भवानीपुर की बजाय नंदीग्राम से चुनाव लड़ी थी जहां सुवेंदु ने उन्हें करीबी मुकाबले में हरा दिया था। मुख्यमंत्री बने रहने के लिए ममता का उपचुनाव जीतना जरूरी है। वहीं, ममता को भवानीपुर में पटकी देने के लिए भाजपा भी पूरे दमखम के साथ जुट गई है। भवानीपुर समेत बंगाल में तीनों विधानसभा सीटों पर 30 सितंबर को चुनाव होने हैं।
चुनाव बाद हुई हिंसा मामले में लगातार अदालत में ममता सरकार को घेरती रही हैं प्रियंका
दरअसल, भाजपा ने भवानीपुर से ममता के खिलाफ जिस प्रियंका टिबरेवाल को प्रत्याशी बनाया है, वह भले ही राष्ट्रीय स्तर पर कम चर्चित हों लेकिन बंगाल में वकील के रूप में वह जाना पहचाना नाम हैं। राज्य में चुनाव बाद हुई हिंसा के मामले में वह लगातार अदालत में ममता सरकार को घेरती रही हैं। पेशे से वकील टिबरेवाल भाजपा सांसद बाबुल सुप्रियो की कानूनी सलाहकार रह चुकी हैं। बाबुल की सलाह के बाद ही वह अगस्त 2014 में भाजपा में शामिल हुई थी।
वैसे सूत्रों का कहना है कि भवानीपुर से भाजपा की पहली पसंद प्रियंका नहीं थीं। पार्टी उतारना तो बड़ा चेहरा चाहती थी ताकि इस चुनाव को नंदीग्राम जैसा रंग दिया जा सके, लेकिन सभी बड़े नेताओं ने ममता के खिलाफ उतरने से इन्कार कर दिया।पार्टी ने विधानसभा चुनाव के पहले भाजपा में शामिल होने वाले दिग्गज अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती से भी संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इन्कार कर दिया। हालांकि नंदीग्राम में ममता को हराने वाले सुवेंदु अधिकारी भवानीपुर से भी लड़ना चाहते थे, पर उन्हें इसकी इजाजत नहीं मिली।
विधानसभा चुनाव में बड़े अंतर से हार चुकी हैं प्रियंका
वैसे प्रियंका टिबरेवाल को भाजपा ने विधानसभा चुनाव में भी कोलकाता की इंटली सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन तृणमूल के स्वर्ण कमल ने उन्हें 58,257 वोटों के बड़े अंतर से हाराया था। प्रियंका को साल 2015 में भाजपा ने कोलकाता नगर निगम चुनाव में भी वार्ड नंबर 58 से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन पार्षद के चुनाव में भी उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अगस्त 2020 में भाजपा ने प्रियंका को भारतीय जनता युवा मोर्चा का प्रदेश उपाध्यक्ष बनाया। वे दिल्ली विश्वविद्यालय से ग्रैजुएट हैं और चुनाव के बाद हुई हिंसा के मामलों में सक्रिय रूप से पार्टी का सहयोग कर रही हैं।
ममता के खिलाफ आसान नहीं है लड़ाई
इधर, राजनीतिक जानकारों की मानें तो भवानीपुर में ममता के खिलाफ लड़ाई आसान नहीं है। यह उनका गृह क्षेत्र होने के साथ परंपरागत सीट भी है। इससे पहले ममता 2011 व 2016 में भवानीपुर से बड़े अंतर से चुनाव जीत चुकी हैं। इससे पहले कांग्रेस ने ममता के खिलाफ कोई प्रत्याशी नहीं उतारने का निर्णय लिया है। वहीं, 2021 के विधानसभा चुनाव में भवानीपुर सीट पर टीएमसी के शोभनदेव चट्टोपाध्याय ने 28 हजार वोटों के अंतर से भाजपा के उम्मीदवार व अभिनेता रूद्रनील घोष को हराया था।