1. नोहकालिकाई फॉल्स, चेरापूंजी (Noakhali Falls, Cherrapunji) :
नोहकलिकाई फॉल्स भारत के मेघालय में स्थित है। चेरापूंजी के नज़दीक यह एक आकर्षक झरना है। चेरापूंजी को सबसे ज्यादा बारिश के लिए जाना जाता है और इस झरने के जल का स्रोत यही बारिश है। यह झरना 335 मीटर ऊंचाई से गिरता है। यहां झरने के नीचे एक तालाब बना हुआ है, जिसमें गिरता हुआ पानी हरे रंग का दिखाई देता है।
2-मुन्नार के चाय बागान और पहाड़ियां, केरल (Munnar Tea Gardens, Kerala) :
यहां हर साल हज़ारों पर्यटक आते हैं। जिंदगी की भागदौड़ और प्रदूषण से दूर यह जगह लोगों को अपनी ओर खींचता है। 12000 हेक्टेयर में फैले चाय के खूबसूरत बागान यहां की खासियत है। दक्षिण भारत की अधिकतर जायकेदार चाय इन्हीं बागानों से आती हैं। चाय के उत्पादन के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए चाय संग्रहालय है जहां इससे संबधित सभी तस्वीरें और सूचनाएं मिलती हैं। इसके अतिरिक्त यहां वन्य जीवन को करीब से देखा जा सकता है।
3- स्टोक रंज, लद्दाख (Stok Range Ladakh) :
लद्दाख जम्मू और कश्मीर में स्थित है। यह उत्तर-पश्चिमी हिमालय के पर्वतीय क्रम में आता है,जहां का अधिकांश धरातल कृषि योग्य नहीं है। 11, 845 फुट की ऊंचाई पर, स्टोक रेंज में स्टोक कांगड़ी, पर्वतारोहियों के बीच एक लोकप्रिय पर्वत है। दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर, एवरेस्ट पर्वत की चढ़ाई करने से पहले, स्टोक रेंज पर चढ़ाई एक अभ्यास मानी जाती है।
4- नुब्रा वैली, लद्दाख (Nubra Valley Ladakh) :
नुब्रा वैली का मतलब ही है ‘फूलों की घाटी’। नुब्रा वैली जाने के लिए आपको इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होगी, क्योंकि यहां तक आने के लिए खरदुंग ला पास को पार करना होगा जो दुनिया का सबसे ऊंचा पास है। हुन्डर और पनामिक नुब्रा वैली के दो मुख्य आकर्षण हैं। हुन्डर को ‘आकाश में रेगिस्तान’ भी कहा जाता है। यही एक ऐसी जगह है जहां आप दो कूबड़ वाले ऊंट की सवारी कर पाएंगे। पनामिक में सल्फर स्प्रिंग और मठों के नज़ारे ले पाएंगे।
5- माथेरन (Matheran) :
माथेरन ब्रिटिश राज में गर्मियों में छुट्टियां बीताने का लोकप्रिय स्थान बन चुका था। यह मुंबई में पदस्थापित ब्रिटिश अधिकारियों की बड़ी पसंद था। इंडिया का यह सबसे छोटा हिल स्टेशन मुंबई से 90 कि.मी. की दूरी पर है। यहां से सूर्यास्त और सूर्योदय का नज़ारा देखने लायक है। यह समुद्र तल से 2625 फुट की ऊंचाई पर पश्चिमी घाट पर स्थित है।
6- नन्दा देवी (Nanda Devi) :
नन्दा देवी पर्वत भारत के उत्तराखण्ड राज्य में अंतर्गत गढ़वाल ज़िले में स्थित है। यह पर्वत हिमालय के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र का प्रसिद्ध पर्वतशिखर है। इसकी चमोली से दूरी 32 मील पूर्व है। इस पर्वत शिखर में दो जुड़वां चोटियां हैं, जिनमें से नंदादेवी चोटी समुद्रतल से 25645 फुट ऊंची है। हिंदुओं का विश्वास है कि शंकर भगवान की पत्नी नंद इसी पर्वत पर निवास करती हैं।
7- मिज़ोरम (Mijoram) :
मिज़ोरम में प्राकृतिक सौंदर्य बिखरा पड़ा है। यहां की पहाड़ियां घने सदाबहार वनों से ढकी हैं, जिनमें चंपक, आयरन वुड और गुर्जुन जैसे मूल्यवान इमारती लकड़ी के वृक्ष पाए जाते हैं। वास्तविक वनाच्छादित क्षेत्र 18,775 वर्ग कि.मी. है, जो भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 89 प्रतिशत है। इन जंगलों में हाथी, बाघ, भालू, हिरन और जंगली भैंसों समेत कई जंतुओं का
पर्यावास है।
8- लोनार सरोवर, महाराष्ट्र (Lonar Lake, Maharashtra) :
लोनार झील महाराष्ट्र के बुलढ़ाणा ज़िले में स्थित एक खारे पानी की झील है। यह आकाशीय उल्का पिंड की टक्कर से निर्मित पहली झील है। इसका खारा पानी इस बात का प्रतीक है कि कभी यहां समुद्र था। इसके बनते वक्त क़रीब दस लाख टन के उल्का पिंड की टकराहट हुई।
क़रीब 1.8 किलोमीटर व्यास की इस उल्कीय झील की गहराई लगभग पांच सौ मीटर है।आज भी वैज्ञानिकों में इस विषय पर गहन शोध जारी है कि लोनार में जो टक्कर हुई,वो उल्का पिंड और पृथ्वी के बीच हुई या फिर कोई ग्रह पृथ्वी से टकराया था। उस वक्त वो तीन हिस्सों में टूट चुका था और उसने लोनार के अलावा अन्य दो जगहों पर भी झील बना दी, हालांकि पूरी तरह सूख चुकी अम्बर और गणेश नामक इन झीलों का कोई विशेष महत्व नहीं रहा है।
9- यूमथांग वैली, सिक्किम (Yumthang Valley, Sikkim) :
यूमथांग को सिक्किम का स्विट्जरलैंड भी कहा जाता है। समुद्र तल से करीब 3564 मीटर्स की ऊंचाई पर स्थित यह इलाका, फूलों की घाटी के रूप में विश्व प्रसिद्ध है। यह घाटी उत्तर सिक्किम में है और हिमालय पर्वतों से घिरी हुई है। यहां जानवर घास चरने भी आते हैं। उत्तर जिला सभी जिलों में सबसे खूबसूरत है। कंचनजंघा के पर्वत शिखर की गोद में लिपटा यह जिला काफी ऊंचाई पर स्थित है।
10- लेह (Leh) :
लेह जम्मू कश्मीर राज्य के लद्दाख जिले का प्रमुख नगर है। सिंधु नदी के किनारे और 11000 फीट की ऊंचाई पर बसा लेह पर्यटकों को जमीं पर स्वर्ग का आभास कराता है। सुंदरता से परिपूर्ण लेह में रूईनुमा बादल इतने नजदीक होते हैं कि लगता है जैसे हाथ बढाकर उनका स्पर्श किया जा सकता है। गगन चुंबी पर्वतों पर ट्रैकिंग का यहां अपना ही मज़ा है। लेह में पर्वत और नदियों के अलावा भी कई ऐतिहासिक इमारतें मौजूद हैं। यहां बड़ी संख्या में खूबसूरत बौद्ध मठ हैं जिनमें बहुत से बौद्ध भिक्षु रहते हैं।