आर्थिक तंगी से परेशान पाकिस्तान अब दुनिया के सामने कटोरे लेकर खड़ा है। पाकिस्तान ने मदद लेने के नाम पर ऐसी हरकत कर दी है कि देश को शर्मिन्दा होना पड़़ रहा है। पाकिस्तान की इस हरकर पर देश में ही बहस छिड़ गई है। प्रधानमंत्री इमरान खान तीद दिन के सऊदी अरब दौरे पर थे। सऊदी अरब ने बयान जारी कर कहा है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन-सलमान की तरफ से पाकिस्तान को चावल के 19,032 बोरे दिए गए हैं। अब इस मुद्दे को लेकर खान की आलोचना हो रही है कि हाल के दिनों तक चावल के बड़े निर्यातक रहे पाकिस्तान को आखिर ऐसी मदद क्यों लेनी पड़ी?
चावल लेने का मतलब है कि पाकिस्तान को खाने के लिए नहीं है। सऊदी अरब की ओर से मुहैया कराये गए 440 टन चावल को खैबर पख्तूनख्वाह और पंजाब के 1,14,192 लोगों में वितरित करना है। इस मदद को लेकर अमेरिका में पाकिस्तान के राजदूत रहे हुसैन हक्कानी ने इमरान सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने ट्वीट करते हुए कहा है कि हाल के दिनों तक चावल के बड़े निर्यातक रहे पाकिस्तान को सऊदी अरब से मदद के तौर पर 19,032 बोरी (440 टन) चावल की जरूरत पड़ गयी है। देश को सऊदी अरब की उदारता के लिए उसका आभार जताने के साथ-साथ अपनी विफलता पर आत्ममंथन भी करना चाहिए। प्रधानमंत्री को अपनी विफलता पर सोचना चाहिए।
हक्कानी के ट्वीट पर कई बुद्धिजीवियों ने प्रतिक्रिया दी है। पाकिस्तान के मशहूर अर्थशास्त्री डॉ. कैसर बंगाली ने कहा है कि गरीबी घटाने और विकास के नाम पर पिछले 4 सालों से अमेरिका, सऊदी अरब, यूएई और चीन के सामने भीख मांगा जा रहा है। अब पंजाब और खैबर पख्तूनख्वां के जरूरतमंद परिवारों के लिए सऊदी अरब से चावल लेने की नौबत आ गई है। क्या रावलपिंडी-इस्लामाबाद में थोड़ी भी शर्म बची है?
वहीं एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया है कि पंजाब में मध्यम स्तर के किसानों के लिए चावल उगाना मुश्किल हो रहा है। पानी की कमी है, किसानों को कोई सब्सिडी नहीं मिलती है। बिचैलिये ज्यादा मुनाफा कमा रहे हैं। किसानों को उनके हाल पर छोड़ दिया गया है। पाकिस्तान ने सउदी के सामने भीख मांगा और उसने कटोरे में जकात का चावल रख दिया। प्रधानमंत्री कार्यालय के मुताबिक दोनों देशों ने सामाजिक और आर्थिक मुद्दों से जुड़े कई करारों पर हस्ताक्षर भी किए हैं।