इस भागती दौड़ती ज़िंदगी में शायद ही कोई ऐसा हो जिसे चैन की नींद नसीब होती हो। पूरे दिन में बमुश्किल एक ही वक्त होता है जब हम सब कुछ पीछे छोड़कर आराम करते हैं और यह वक्त है जब हम सो रहे होते हैं। खासकर कोरोना वायरस के इस दौर में हम सबके कामों की लिस्ट और बढ़ गई है। घर पर कामवाली के न आने से आपको घर की सफाई, खाना बनाना, बच्चों की देखभाल जैसे काम भी करने पड़ रहे हैं और साथ ही ऑफिस का काम तो है ही।
वैसे नींद से जुड़ी बीमारियां पहले भी आम थी, लेकिन कोरोना काल में नींद से हर कोई जूझ रहा है। कोई नींद न आने से परेशान है तो कोई ज्यादा नींद आने से। स्ट्रेस, डिप्रेशन और खराब लाइफस्टाइल और न जाने कितने कारण है जिनके रहते हम ऐसी समस्याओं से जूझते हैं।
नींद की एक ऐसी ही बीमारी है जिसका नाम स्लीप ऐप्निया। अक्सर नींद के दौरान सांस लेने में दिक्कत महसूस होती है, जिसे स्लीप ऐप्निया की समस्या के नाम से जाना जाता है। यह समस्या भले ही सुनने में छोटी लगती हो लेकिन इसके परिणाम काफी गंभीर हो सकते हैं। यह समस्या रात को नींद के दौरान होती है। इस समस्या की वजह से सोते समय व्यक्ति की सांस सैकड़ों बार रुक जाती है। श्वसन क्रिया में आने वाले इस अंतर को ऐप्निया कहा जाता है।
कैंसर का भी कारण बन सकता है स्लीप ऐप्निया
स्लीप ऐप्निया, यह एक ऐसी बीमारी है, जो डायबीटीज, हार्ट अटैक, ब्लड प्रेशर के साथ ही याददाश्त कम होने जैसे रोगों का कारण बन सकती है। सोते समय सांस लेने के रास्ते में अवरोध के कारण यह परेशानी होती है। यह लाइफस्टाइल से जुड़ी बीमारी है जिसे जीवनशैली में कुछ बदलाव कर रोका जा सकता है। लेकिन अब एक नए अध्ययन में पाया गया है कि जिन महिलाओं को स्लीप ऐप्निया की बीमारी है उन्हें पुरुषों की तुलना में कैंसर होने का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
महिलाओं को ज़्यादा ख़तरा
रिसर्चर्ज़ की मानें तो बढ़ती उम्र में कैंसर का खतरा ज़्यादा है लेकिन अगर उम्र, जेंडर, बॉडी मास इंडेक्स, स्मोकिंग और ऐल्कोहॉल के सेवन जैसी चीजों को अडजस्ट करने के बाद भी कैंसर का खतरा अधिक और स्लीप ऐप्निया के बीच संभावित लिंक देखने को मिला और यह कनेक्शन पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा देखा गया। नतीजे दिखता हैं कि वैसी महिलाएं जिन्हें स्लीप ऐप्निया है उन्हें कैंसर होने का खतरा 2 से 3 गुना अधिक होता है।