भारतीय नेवी को एक नई ताकत मिलने जा रही है. केंद्र सरकार ने नेक्स्ट जेनरेशन के 8 कॉर्वेट्स खरीदने पर मुहर लगा दी है. इन पर करीब 36 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी. इन छोटे जंगी जहाजों को भारत में ही तैयार किया जाएगा और इसमें प्राइवेट कंपनियों का सहयोग लिया जाएगा. ये पहला मौका होगा, जब नेवी के डिजाइन पर कोई जंगी जहाज का निर्माण होगा. ये कॉर्वेट्स 76,390 करोड़ रुपये की लागत से खरीदे जा रहे सैन्य उपकरणों और साजोसामान के पैकेज का हिस्सा हैं. सोमवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई रक्षा अधिग्रहण परिषद की बैठक में इसे मंजूरी दी गई. आइए बताते हैं, इन कॉर्वेट्स में क्या खास है और ये कैसे भारतीय नौसेना की ताकत में इजाफा करेंगे.
ब्रिटानिका के अनुसार, कॉर्वेट एक छोटा और तेज नौसैनिक पोत होता है जो साइज में फ्रिगेट यानी युद्धपोत से छोटा होता है. ऐतिहासिक रूप से रॉयल नेवी ने 1650 के दशक में छोटे युद्धपोतों का इस्तेमाल शुरू किया था. पहली बार कॉर्वेट वॉरशिप का जिक्र 1670 के दशक में फ्रांसीसी नौसेना में मिलता है. अंग्रेजों की नौसेना में इन कॉर्वेट्स का इस्तेमाल 1830 के बाद शुरू हुआ. 18वीं और 19वीं शताब्दी के कॉर्वेट्स युद्धपोत और जहाजों के जैसे होते थे, जिनमें 20 बंदूकें लगी होती थीं. इनका इस्तेमाल जंग के दौरान सैनिकों और साजोसामान लाने-ले जाने में होता था. व्यापारी भी इनका इस्तेमाल करते थे. लेकिन आधुनिक कॉर्वेट बहुत अलग तरह के होते हैं. इनमें मिसाइलें, टॉरपीडो और मशीनगनें लगी होती हैं, जो पनडुब्बियों और एयरक्राफ्ट को भी मार सकती हैं.
रक्षा मंत्रालय ने बताया कि अत्याधुनिक कॉर्वेट्स को ‘डिजिटल कोस्ट गार्ड’ प्रोजेक्ट के तहत खरीदा जा रहा है, जो सरकार की रक्षा क्षेत्र को डिजिटल रूप देने के विजन के अनुरूप है. इस प्रोजेक्ट के तहत तटरक्षक बल में कई तरह के जमीनी व विमानन संचालन, रसद, वित्त व मानव संसाधन प्रक्रियाओं के डिजिटलीकरण के लिए अखिल भारतीय सुरक्षित नेटवर्क स्थापित किया जा रहा है. इन कॉर्वेट्स को भारतीय कंपनियों से खरीदने की मंजूरी दी गई है. मंत्रालय ने बयान में बताया कि अगली पीढ़ी के कॉर्वेट्स नौसेना के नए इन-हाउस डिजाइन के आधार पर तैयार किया जाएगा. इसमें जहाज निर्माण की नवीनतम तकनीकों का इस्तेमाल होगा.
रक्षा मंत्रालय के अनुसार, इन 8 कॉर्वेट्स को निगरानी, एस्कॉर्ट, प्रतिरक्षा, तटीय सुरक्षा, सर्च और अटैक के अलावा जमीनी एक्शन ग्रुप (एसएजी) के ऑपरेशनों में इस्तेमाल किया जाएगा. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ये कॉर्वेट्स इसलिए भी अहम है क्योंकि पहली बार होगा कि नौसेना डिजाइन निदेशालय के डिजाइन के आधार पर किसी जंगी जहाज को तैयार किया जाएगा. मोदी सरकार के मेक इन इंडिया मिशन के तहत भारतीय शिपयार्ड इसका निर्माण करेगी. इसमें प्राइवेट सेक्टर का सहयोग लिया जाएगा. कॉर्वेट में ऐसे हथियार, सेंसर और मशीनरी लगी होगी, जो पूरी तरह से स्वदेशी होगी. नवीनतम तकनीक के उपयोग से इसका निर्माण किया जाएगा.
बिजनेसवर्ल्ड के मुताबिक, ये फ्यूचरिस्टिक कॉर्वेट्स भारतीय नौसेना के लिए 175 शिप तैयार करने के अभियान का हिस्सा होगा. मेक इन इंडिया के तहत नेवी के लिए 41 जहाज और पनडुब्बियां बनाई जा रही हैं. इनमें से 39 का निर्माण भारतीय शिपयार्ड में हो रहा है. बिजनेस स्टैंडर्ड के मुताबिक, भारतीय नेवी ने इनके निर्माण के मानक बताते हुए कहा है कि 120 मीटर लंबे ये कॉर्वेट्स ऐसे होने चाहिए जो 4,000 समुद्री मील तक की रेंज कवर कर सकें, 27 नॉटिकल मील की रफ्तार से चल सकें, रडार की पकड़ में न आएं. ध्वनि, चुंबकीय, विजुअली और इन्फ्रा रेड से भी इनका पता लगाना मुश्किल हो. इसमें सोनार और हल्के वजन के टॉरपीडो लांचर लगे हों. इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, ये नए अत्याधुनिक जंगी जहाज खुकरी और कोरा श्रेणी के कॉर्वेट्स की जगह लेंगे.