एक नए शोध के मुताबिक,1985 के बाद से कैलिफोर्निया (California) ने अपने जंगलों का 6.7 प्रतिशत हिस्सा खो दिया है. अनुमान है कि करीब 4,566 वर्ग किलोमीटर जंगल, अब तक खत्म हो चुके हैं. पिछले 37 सालों में लॉस एंजलिस से साढ़े 3 गुना ज़्यादा बड़ा इलाका स्वाहा हो चुका है. शोध में जंगलों की तबाही की वजह भी बताई गई है.
1985 और 2021 के बीच हुए वनस्पति परिवर्तन के बारे में जानने के लिए बनाई गई रिसर्च टीम ने, यूएस जीयोलॉजिकल सर्वे (USGS) और नासा (NASA) के लैंडसैट मिशन के डेटा का अध्ययन करके एक रिपोर्ट दी है. एजीयू एडवांसेज़ (AGU Advances) में रिपोर्ट किए गए नतीजों के मुताबिक, तेजी से खत्म हो रहे जंगलों के लिए, जंगलों में लगने वाली आग, सूखा और जलभराव ज़िम्मेदार हैं. इन पेड़ों की जगह पर नए पेड़ भी लगाए जा रहे हैं, लेकिन उनकी संख्या काफ़ी कम है.
यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया (University of California) इरविन के प्रोफेसर जेम्स रैंडरसन (James Randerson) का कहना है कि जंगल इतनी आग को बर्दाश्त नहीं कर पा रहे हैं. ये जो भी बदलाव जंगलों में हो रहे हैं, वे पिछले 4 दशकों से भी कम समय में नजर आए हैं.
ये जंगल बड़े इलाके में फ़ैले हुए हैं इसलिए हर जगह किसी एक वजह को ही इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता. उदाहरण के लिए, राज्य के उत्तरी इलाके में कम तापमान और भारी बारिश की वजह से, आग लगने की घटनाओं के बावजूद ज़्यादा नुकसान नहीं हुआ. यहां नए पौधे भी उग आए हैं. हालांकि, 2018, 2020 और 2021 में लगी आग ने काफी बड़ा नुकसान किया है.
सिएरा नेवादा (Sierra Nevada) के पहाड़ी इलाकों में एक दशक पहले तक स्थिति बेहतर थी. हालांकि 2012 से 2015 तक बनी गंभीर सूखे की स्थिति और साल 2020 में लगी विनाशकारी आग ने यहां काफ़ी नुकसान किया है. यहां करीब 8.8 प्रतिशत जंगल खत्म हुए हैं. दक्षिणी कैलिफोर्निया (Southern California) में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है. यहां के पहाड़ी इलाकों में करीब 14 प्रतिशत पेड़ खत्म हो गए हैं.
रैंडर्सन की रिसर्च टीम के प्रमुख और इस अध्ययन को लीड करने वाले शोधकर्ता जोनाथन वांग ( Jonathan Wang) का कहना है कि राज्य के दक्षिणी इलाके में, जंगलों में आग से उबरने की क्षमता घटती जा रही है. हालांकि इसी बीच, यहां पौधे बढ़े हैं और घास में बढ़ोतरी देखी गई है, इस वजह से इकोसिस्टम में ज़्यादा बदलाव की संभावना नहीं दिखती.
कैलिफ़ोर्निया में पर्यावरण संतुलन के लिए वन बड़े पैमाने पर ज़िम्मेदार हैं. इसलिए कम हो रहे जंगल और इस वजह से कार्बन डाइऑक्साइड को अवशोषित करने की उनकी क्षमता में कमी, यहां के पर्यावरण के लिए अच्छा संकेत नहीं है. टीम का मानना है कि यहां ऐसी स्थिति लंबे समय तक बनी रह सकती है.