भारतीय डाक से जुड़े पेमेंट बैंक ने ग्राहकों को पेमेंट एप की महत्वपूर्ण सुविधा प्रदान की है. इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने एक DakPay ऐप लॉन्च किया है. डाक विभाग के ग्राहक इस ऐप के द्वारा तत्काल पैसा ट्रांसफर कर सकते हैं. गौरतलब है कि डाक विभाग परंपरागत मनी मनीऑर्डर सेवाओं को काफी पहले बंद कर चुका है और इसकी जगह ई-मनी मनीऑर्डर की सेवा शुरू की गयी थी जिसमें इंटरनेट के द्वारा तत्काल पैसा भेजना संभव है. अब मनी ट्रांसफर को और आसान बना दिया गया है.इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक ने डाक विभाग के साथ मिलकर मंगलवार को डिजिटल पेमेंट ऐप डाक पे (DakPay) लॉन्च किया है. इस ऐप के माध्यम से ग्राहकों को बैंकिंग और डिजिटल लेनदेन की सुविधा प्राप्त होगी.
इस पेमेंट ऐप को यूपीआई (UPI) से जोड़ा गया है, इसका मतलब यह है कि ग्राहक डाक पे के माध्यम से पेटीएम, गूगल पे, फोन पे और दूसरे पेमेंट एप्स की तरह ही डिजिटल लेनदेन कर पाएंगे. क्या कहा संचार मंत्री ने ऐप के लॉन्च कार्यक्रम के दौरान संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कोविड-19 के दौरान एईपीएस के माध्यम से घर-घर जाकर लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक की सराहना की. उन्होंने कहा कि आईपीपीबी के इस प्रयास से बैंक की पहुंच से दूर या जिनका बैंक में खाता नहीं है, उनको वित्तीय रूप से सशक्त बनाने में मदद मिली है.
कैसे मिलेगी यह सुविधा डाक पे के माध्यम से ग्राहक डोमेस्टिक मनी ट्रांसफर (DMT), क्यूआर कोड को स्कैन करके और यूपीआई के माध्यम से डिजिटल लेनदेन कर सकते हैं।. इस पेमेंट ऐप के जरिए यूजर घर बैठे बैंकिंग सेवाओं का लाभ ले पाएंगे. इस ऐप के जरिए यूजर को डाक उत्पादों की सेवाएं भी ऑनलाइन मिलेंगी. इस पेमेंट ऐप के माध्यम से यूजर किसी भी बैंक खाते से अपने इंडिया पोस्ट पेमेंट बैंक (आईपीपीबी) खाते में रुपये भेज सकते हैं. साथ ही किसी दूसरे खाताधारक से पैसे प्राप्त करने के लिए ठीक उसी तरह रिक्वेस्ट भेज सकते हैं, जैसे गूगल पे आदि पेमेंट ऐप्स में भेजी जाती है. ग्राहक खुदरा दुकानों पर की गई अपनी खरीदारी के लिए आसानी से इस पेमेंट एप के जरिए भुगतान कर सकते हैं. सरकारी बैंक इस ऐप के माध्यम से पेंशनधारक आईपीपीबी ( IPPB) द्वारा शुरू की गई डीएलसी (DLC) सेवा का लाभ भी उठा सकते हैं. इंडिया पोस्ट पेमेन्ट्स बैंक को संचार मंत्रालय के डाक विभाग के तहत स्थापित किया गया था. इसमें 100 फीसदी हिस्सेदारी भारत सरकार की है.