मौजूदा समय में समस्त देश में विरोध की बयार बह रही है। विरोध की नौका पर पूरे देश के अन्नदाता (farmer) भी सवार हो चुके हैं। इस विरोध प्रदर्शन में अब किसानों (farmer protesting against bill) को विपक्षी दलों(oppostion party) का साथ भी मिल रहा है। विपक्ष के साथ का अंदाजा तो आप महज इसी से लगा सकते हैं कि एक तरफ जहां संसद सत्र में इस बिल का विरोध जारी रहा तो वहीं दूसरी तरफ विलायती धरा पर दस्तक दे चुकेे राहुल गांधी (Rahul Gandhi) लगातार इस बिल के विरोध में अपनी आवाज बलुंद कर रहे हैं। उधर, अब इस बिल के विरोध के चलते राजग (National democratic alliance) में फूट और टूट का सिलसिला शुरू हो चला है। जी हां.. बता दें कि अब केंद्रीय मंत्री हरसिमरत कौर बादल (harsimrat kaur badal) के बाद अब शिरोमणि अकाली दल (shiromani akali dal) ने राजग से अलग होने का ऐलान किया है। अकाली दल ने यह ऐलान किसान बिल (Farmer Bill) विरोध प्रदर्शन को मद्देनजर रखते हुए उठाया है।
उधर, अकाली दल के इस ऐलान के बाद राजग से उनका 22 साल पुराना रिश्ता टूट गया है। वहीं पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह (CM amarinder singh) ने अकाली दल के इस फैसले को उनकी हताशा बताया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल ने यह फैसला पंजाब में सियासी दबाव के चलते उठाया है। बता दें कि अकाली दल सिख समुदाय (Sikh community) से जुड़े मसले को लेकर बेहद बेबाकी से संसद (parliment) में उठाने के लिए जानी जाती हैं। उधर, जब इस किसान बिल के विरोध में पंजाब सहित हरियाणा में विरोध अपने शबाब पर दिखा तो अकाली ने भी पुरजोर इस बिल का विरोध किया। इस विरोध का नतीजा रहा केंद्रीय मंंत्री हरसिरत कौर बादल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। हरसिमरत के इस फैसले को लेकर अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने मोदी सरकार के लिए बम के फूटने के सरीखा बताया था। लेकिन साथ में यह भी ऐलान कर दिया था कि उनका राजग से अलग होने का कोई भी प्लान नहीं है, मगर जब किसानों का विरोध अपने परवान पर दिखा तो अकाली दल ने 22 साल पुराने इस रिश्ते को स्वाह करना ही मुनासिब समझा।
इस संदर्भ में अधिक जानकारी देते हुए अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल (Sukhbir singh badal) ने पार्टी नेताओं के साथ बैठक की। इस बैठक में अकाली दल ने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन से जुदा होने का फैसला किया। बैठक के दौरान दल के अध्यक्ष ने हरसिमरत कौर के फैसले को लेकर मोदी सरकार के लिए बम के फूटने के जैसा बताया था। उन्होंने पिछले दो महीने से इस बिल के खिलाफ कोई नहीं बोल रहा था , लेकिन अब 5-5 मंत्री बोल रहे हैं।