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जानिए सावन के सोमवार और चंद्रमा का क्या है रहस्य ? आखिर क्या मांगा था वरदान ?

हिन्दू धर्म में सावन के महीने को बहोत अधिक महत्व दिया जाता है। आप को शायद पता नहीं होगा की इस महीने के पीछे कितना बड़ा रहस्य छुपा हुआ है। यह सावन का पावन महीना विभिन कथाओ पर आधारित है। आइये जानते है। इस कथा के बारे में आप लोगो को बता दे कि पौराणिक कथाओं के मुताबिक सोमवार का चंद्रमा से खास सम्बन्ध है। कहा जाता है कि चंद्रमा को भगवान शिव से वरदान मांगने के लिए कठोर तपस्या करनी पड़ी थी।कहा जाता है। कि भगवान शिव ने तपस्या के रूप में चंद्रमा से इस सावन के पूरे महीने को अपने नाम के रूप में मांग लिया था। इसके बाद से ही इस महीने में आने वाले सोमवार को सावन का सोमवार कहा जाने लगा आप को बता दे कि सोम का अर्थ चंद्रमा होता है।


बता दे कि साध्वी गिताम्बा तीर्थ ने इस सावन के सोमवार के बारे में पूरी कथा बताई है। कहा जाता है। कि राजा दक्ष के 27 कन्या थी। इन 27 कन्याओं की शादी राजा दक्ष के पुत्र चंद्रमा से की गई थी।आप को बता दे कि चंद्रमा ने अपने पिता के कहने पर शादी तो कर ली थी। लेकिन वो अपनी इन 27 पत्नियों को प्रेम नहीं करते थे। वे केवल रोहिणी से प्रेम करते थे। इसके चलते राजा दक्ष ने चन्द्र को श्राप दे दिया था। उन्होने श्राप देते हुए कहा कि जाओ चंद्रमा तुमको क्षय रोग हो जाएगा आप को बता दे कि आज के समय में इस क्षय रोग को टीबी का रोग कहा जाता है।

जानिए क्यों होती है ,सावन के सोमवार में मनोकामना पूरी

इस के साथ ही राजा दक्ष ने चंद्रमा को ये भी श्राप दिया था कि सामान्य मनुष्य कि तरह तुम भी पृथ्वी पर भ्रमण करोगे ये सब बाते सुनने के बाद चंद्रमा चुप चाप उठकर गुजरात चले गए और वहा जाकर भगवान शिव की तपस्या करनी शुरू कर दी। चंद्रमा कि इस तपस्या से भगवान शिव बहोत प्रसन्न हुए और वे सावन के सोमवार को प्रकट हुए और इस के साथ ही शिव जी ने चंद्रमा को अपना दर्शन दिया और चंद्रमा से पूछा कि बताओ तुमको क्या चाहिए। शिव जी कि यह बात सुनकर फिर चंद्रमा ने वरदान मांगा कि मैं यह चाहता हूं कि सावन का यह पूरा महीना मेरे नाम से हो उनकी ये बात सुन कर भगवान शिव ने चंद्रमा को ये वरदान दे दिया और तभी से सावन का सोमवार कहा जाने लगा सोम मतलब चंद्रमा होता है। उसके साथ ही चंद्रमा ने ये भी वरदान मांगा कि सावन के सोमवार में जो भी व्यक्ति व्रत रखता है पूजा -पाठ और दीप दान भी करता है। इसके साथ जो भी व्यक्ति मनोकामना मांगेगा वो आप को पूरी करनी होगी।

भगवान शिव काशी में हुए थे बिराजमान

यह पर काशी विश्वनाथ की बात कही जा रही है। यहाँ पर सबसे ज्यादा महत्व काशी का है। गिताम्बा ने बताया कि काशी में ब्रह्म हत्या हुई थी। इसलिए भगवान शिव स्वयं यहां पर आकर बिराजमान हुए है। आप को बता दे कि काशी में 12 ज्योतिर्लिंग है। इसलिए काशी में स्वयम्भू है। सभी ज्योतिर्लिंग में सबसे ऊपर काशी है।

इस मंत्र से मनोकामना होगी पूरी

आप को बता दे कि भगवान शिव के बारे में कहा गया है कि दोनों अवस्थाओं में समान रहते हैं सुसुप्ता अवस्था में भी समाधि में रहते हैं. जागृत अवस्था में दिन रात कथा ही भगवती को सुनाते रहते हैं इसलिए ”बाबा सब कहें अम्बा कहे न कोई बाबा के दरबार जो अम्बा कहे सो होए”.उन्होंने कहा सावन के सोमवार में ओम क्लिं नमः शिवाय क्लिं ओम मंत्र का उच्चारण करने से मन की सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी। कहा जाता है। कि भगवान शिव सावन के महीने में बहोत अधिक प्रसंन रहते है। और इस पावन महीने में मागी गई सभी मनोकामनाएं पूरी होती है।