मुख्य चुनाव आयुक्त (Chief Election Commissioner) और अन्य चुनाव आयुक्तों से जुड़े विधेयक (bill) पर आम आदमी पार्टी ने राज्यसभा (Rajya Sabha) में विरोध दर्ज कराया है। पार्टी सांसद ने राघव चड्ढा (Raghav Chadha) ने इसे गैर-कानूनी करार दिया है। साथ ही उन्होंने कहा कि इसके जरिए सरकार जिसकी चाहे, उसकी नियुक्ति कर सकती है। उन्होंने कहा कि केंद्र इस पद पर संबित पात्रा (related character) तक को ला सकती है। पात्रा भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता हैं।
मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त (नियुक्ति, सेवा शर्तें एवं पदावधि) विधेयक, 2023 को लेकर चड्ढा ने कहा, ‘वे सिलेक्शन पैनल से पहले ही भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटा चुके हैं और उनकी जगह कैबिनेट मंत्री को लगाया गया है। इससे सरकार को दो वोट मिल जाते हैं। 2-1 के बहुमत के साथ सरकार सभी फैसले ले सकती है और जिसे चाहे उसे नियुक्त कर सकती है।’
उन्होंने राज्यसभा में कहा, ‘वे संबित पात्रा को मुख्य चुनाव आयुक्त बना सकते हैं। अगर वह मुख्य चुनाव आयुक्त बन गए, तो कितना खतरनाक होगा।’ आप सांसद ने कहा, ‘यह विधेयक गैर कानूनी है…। यह विधेयक संविधान की मूल संरचना के खिलाफ है। संविधान की मूल संरचना स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव है।’
राज्यसभा में पारित
विधेयक को मंगलवार को राज्यसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया। सदन में लगभग साढ़े तीन घंटे तक चली चर्चा का जवाब देते हुए विधि एवं न्याय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने कहा कि सरकार चुनाव आयोग की स्वतंत्रता और निष्पक्षता के लिए प्रतिबद्ध है और यह विधेयक इसी दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि इस विधेयक के माध्यम से उच्चतम न्यायालय के निर्देशों को पूरा किया गया है।
इसके अलावा चुनाव आयोग को मजबूत बनाते हुए आयुक्तों का वेतनमान उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश के समान कर दिया गया है तथा सेवाकाल के दौरान कर्तव्य निर्वहन के लिए कोई अदालत उनको समन नहीं कर सकती है। उन्होंने कहा कि संविधान में सत्ता का विकेंद्रीकरण किया गया है। इसलिए कार्यपालिका, न्यायपालिका और विधायिका का कार्यक्षेत्र तय किया गया है। नियुक्ति प्रक्रिया कार्यपालिका का क्षेत्र है।